Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
१४४J
[ लोन तय गन्न निरमल जायगा दिनयर श्री विजयसन सूरिसरी । कवि कुसलबर्धन सास ए भ नगागमा मंगल करी ||५.२ ॥
४४३ समवशरण स्तोत्र - ......! पत्र संख्या-७ । लारज-१६x४, इन | माथा-संस्कृत | ६ि7.-- तोत्र । रचना काल-x | लेखन काल-x | पूर्म । वेष्टन नं० २०.।
४४. स्तुति संग्रह - चंद कवि । पत्र संख्या-- - साइज-- इन 1 भाषा-हिन्दी । विकर-- निन । रचना काल-X । लेखन काल-। पूर्ण । वेष्टन नं० १.४ ।
विशेष-शान्तिनाथ, महानार तथा श्रादिनाथ की स्तुतियां हैं । दाहा-स्तुतिफन से मनी चट्ट ईन्द्रादिक मुरबास । चंद तणी यह वीनता दी यो मति निवास || 1=Ik
||शते थादिनाथजी स्तुति संपूर्ण ।
४४५. स्तोत्रटीका-आशाधर | पत्र संख्या-३० । साइज-१४ इन्च । भाषा-संस्कृत विषर.रात्र | रचना काल-x। लेखन काल-पं. १ कार्तिक पुदी १५ ! पूर्ण । वेष्टन नं. ३६३।
विशेष - रायमस्त न प्रतिलिपि की।
४४६. स्नोत्र संग्रह ... | पत्र संख्या-५ | मरज-११x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्तत । विषम-- संभ लेखन काल-x | पूर्मा बनाना
निम्न लिखित खोत्र :
विशष
माया
1.
काल का हिन्दी xx
संस्कृत
माम स्तोत्र
का पार्श्वनाथस्तोत्र
जगतभूषण लक्ष्मीस्तोत्र
धन प.श्वनाथलोग कलिकड पार्श्वनाथस्तीन पार्श्वनाथस्तोत्र चिन्तामणि पार्श्वनाथस्तोत्र ४ पार्श्वनाथस्तोत्र
सजसन पार्श्वनाथरता
पानतराय
xx xxx xxx
xxxxxxxx
x मंत्र माहित
४४७. सिद्विप्रियस्तोत्र--देवनंदि। पत्र संख्या-५ । माहज-x५ च । भाषा-संस्कृत 1 विषरलीन रचना काल-x। लखन काल-x | पूर्वा । वेष्टन न.१२।
विशेष-एक प्रति और हैं।