Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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कथा एवं रासा साहित्य ]
[ २२५ ___यहाँ समस्त खोट कर्म रौ पालने वाली, निमल धर्म से उपजावने वाली यौर कर्म तिगरी नासरी करिने वाली फर, यह लोग रे विषै परलोक र विषै परलोक रे रिण किया है। घणौ पुत्र जिन्हे ऐसा पवणा पर्व श्रागी यकी समस्त देवन। भवनाति इन्द्र भेल्या होय ते नंदीश्वर नामा पाठमा द्वीप रे यिनै धर्म री महिमा करनाये जावे ।।
अन्तिम - मति मंदिर किनी सरस कथा अठाई देश ।
पद में यक्षुध केई हुवो कधि जन लीजी देख ॥
३१४. अष्टालिका कथा--पत्र संख्या--३३ । साइज-१०x४३ हाच । मा21-हिन्दी गध । विषय-कथा । रदना काल-x ! लेखन क.ल-सं. १८८२ श्राबाट सुदी ११ । पूगमे । वेष्टन नं. ६.८१ । विशेष – पन्नालाल ने प्रतिलिपि की थी । अन्त में निम्न दोहा भी है:
रतन कोह मुम्न संकदो अलवेली पवार ।
दंपत पाणि मरै तीस पुरष री नार || १ || ३१५. अनंतव्रतकथा-पत्र संख्या-६ । साइज-१:४५: । भाषा-संस्कृत | विषय-श । रचना केन-x 1 लखन काल-० १९०१ भादवा सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन नं ० ४२५ ।
३१६. अष्टाहिका कथा-रत्ननंदि। पत्र संख्या-४ | साज-११:४४३, १५ । भाषा-संस्कृत । शिष--कथा । रचना काल-1 लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं० ४५ ।
विशेष - संसत में कठिन शब्दों के अर्थ भी दिया हुआ है । प्रति प्राचीन है। श्लोक संगा-- है।
३१५. आराधनाकथाकोष--पथ संख्या-८२ 1 साज-१४५ इभ । भाका-संस्कृत । यवन--4.01 । रचना काल-| लेखन काल-सं० १५४५ माघ सुदी = | पूर्मा 1 वेष्टन नं० ३२५ ।
विशेष-हिसार पैरोजाबादपत्रने मुरत्राण नथलोलिसाहि राको गुणभद्र देवा-तेषां साम्नाथे साधु नोटा." ....... .. .. ... लत कमाकोषप्र लिखापित । ब्रह्म घटिम योगदत्त'।
अनि प्राचीन एवं जी है। पत्र ३४ से २ तर मिलिखाये गये हैं । अन्तिम पत्र जी नपा ५zा हुअा है।
३१८. कमलचन्द्रायणकथा-पत्र संख्या-२ । साइन-xx च । भाषा-संसत । विषय-कथा । रचना काल-X । लेखन काल-४ | पूर्ण । वेष्टन नं. ४२५ ।
विशेष-५४ और १५५ वा पत्र अन्य अन्य के हैं।
३१६. कालिकाचार्यकथानक-भाषदेषाचार्य । पत्र संख्या-- | साइज-34६x४६नु । भा१/परत । विश्य-कमा । रचना काल-X । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं० ५८४ |
विशे१-या संख्या १०० है । पयों पर सुनहरी पंक्ति है ।