Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[पुरागण साहित्य विशेष—इसमें कुल १. अधिकार हैं। महाभा सालगराम ने प्रतिलिपि की थी 1
३०६. शान्तिनाथपुराण-सकलकीर्ति । पत्र संख्या-४६ से १८८ । साइज-1१४ च । भाषासंस्कृत विषय-पुतण । रचना काल-X । लेखन काल-सं. १६१८. माह सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन नं. २१८ ।
विशेष-कुल १६ अधिकार हैं । श्लोक संख्या ४३८० है। एक प्रति और है ।
३१०. हरिवंशपुराण-यश कीत्ति । पत्र संख्या-१५१। साइज-१६x४३ इन्च | माषा-अपभ्रश । विषय -पुराण 1 रचना कारी-X । लेखा काल-सं० १६१५ सावनमुदी १३ । पूर्ण । पैन्टन नं. १६६ ।
विशेष--४०. प्रभागश्लोक गन्थ है। बादशाह अकबर के शासन काल में अग्रवाल वंशोत्पन्न मित्तल गोत्रीय नाडी निवासी शाह असागज के वंशज सा. भीमसन ने प्रतिलिपि कराई यो । लेखक प्रशस्ति का विस्तृत हैं।
३११. हरिवंशपुराण -- जिनदास । पत्र संख्या-३६६ । सा: ज-१.xi i | भाषासंस्थत ! विषय-पुराण । चना काल-x | लेखन काल-सं० १७१२ गहन जुदा - । पूर्ण वेशन नं० १६८ ।
लेखक प्रशस्ति यपूर्ण है। एक प्रति और हैं ।
२१२. हरिवंशपुर--- दौलतराम । पत्र संख्या-६८४ | साइज-१३४= इस ! भाषा-हिन्दी । विषय--पुरामः । २चदा काल-सं० १८२६ चैत्र सुदी १ । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं ० १४ ।
विशेष-बलदेव कृत जयपुर रंदना भी है।
विषय-कथा एवं रासा साहित्य ३१३. अमाहिकाकथा-१५ संख्या-३८ । साइज-१०४४३ ३ । भाषा-हिन्दी गए । विष३-41 । रचमा काल-x | लेखन काल-सं० १६१, मंगसिर बुदा ११ । पूर्वी । वेष्टन नं. ७२ ।
विशेष-गुजराती हिन्दी मिश्रत है । सात जागा है उस पर टीका है । पत्रालाल के पटना प्रतिलिपि की थी। प्रारम्म-शान्ति देव प्रणाम करि निश्चय मन में ध्याय ।
कथा अठाईनी लिखी, भाषा सगम बनाय ।।