Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ अध्यात्म एवं योग शास्त्र १११. मरिसादुद्ध भाग--47 सपः मान्डर पाप गन्न्या-१५ । सारज-१२x+ इ ! भाषा-हिन्दी गय । रचना काल-X । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं. ६१ ।
११२. ज्ञानार्णव-शुभचंद्र । पत्र संख्या-१७६ । साइज - १.१४५३ इञ्च । माषा-संस्कृत । बिमयोग । रचना काल-x1 लेखन काल-सं० १६१८ । पूणं । वेष्टन नं० २५५ ।
विशेष-संवत् १७E२ में कुछ नवीन पत्र लिखे गये हैं । संस्कृत में कठिन शब्दों का अर्थ दिया हुआ है। अति-एक प्रति और है।
११३, दर्शनपाड-पं0 जयचंद छाबड़ा । पत्र संख्या-२" । साइज-१४ च । भाषा-हिन्दी गध । विषय-अध्यात्म । रचना काल-x | लेखन कान-४ । पूर्ण । वेष्टन ०३० |
११४. द्वादशानुप्रेता-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र संख्या-१२ । साइज-१०९४५ ३२ । भाषा-प्राकृत | विषय-बितन । रनन! काल-X । लेखन काल-सं० १८.२ वि० वैसाख पुदी । अपूर्ण । बेष्टन नं. १७३ |
विशेष ---हिन्दी संस्कृत में छाया मी दी हुई है।
११५. द्वादशानुप्रेक्षा-बालू कवि । पत्र संख्या १६ ! साइज-xx च । भाषा-दिदी । विषय-चिंतन । रचना काल-X । लेखन काल-x | पूर्ण । वेष्टन नं०६५ |
विशेष- नारह भावना के ३८ पद्य है । इसके अतिरिक्त निम्न हिन्दी पाठ और हैं:(१) जखडो-हरोसिह । (२) पद (वं श्री थरहंत देव सारद नित सुमरण हृदय वर -हरीसिंह (३) समाधि मरन-धानतराय । (४) ननाभि चक्रवर्ती की बराग्य भावना---'धरदास । (५) बधावा--( वाजा बाजिया मला) (६) वाईस परीषह। रामलाल तेरा पंथी छाबड़ा ने दौसा में प्रतिलिपि की भी।
११६. दोहाशतक-योगीन्द्र देव | पत्र संख्या-१ | साइज-ixit च । भाषा-पाश । विषय-अध्याम । स्त्रन? काल-X । लेखन काल-सं १८२७ कार्तिक बुदी १३ ३ पूर्ण । वेष्टन न...।
विशेष-श्रीचंद्र ने सवा में प्रतिलिपि की थी।
११७. नवतत्ववाहाबोध-पत्र संख्या-३१ । साइन-२०३४४६ माषा-गुजराती हिन्दी । विक्रमअध्यात्म | रचना काल-X । लैसन काल-सं० १८८५ श्रासोज मुदी २ । पूर्ण । वेटन नं. १७४ ।