Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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धर्म एवं लाचार शास्त्र विशेष-चिमनलाल मालपुरा वाले ने प्रतिलिपि की मी ।.२ प्रतिया और हैं। .
७०. पुरुषार्थानुशासन-गोविन्द । पत्र संख्या-६६ । साज- ११४५ * | माषा-संस्कृत । विषयधर्म । । स्थना काल-x | लेखन काल-सं० १५४८ मंगसिर सदी । । पूर्ण । बेधन नं . २६ । ।
विशेष— विस्तृत लेखक प्रशस्ति दी हुई हैं । श्रीरंद ने सलाई जयपुर में प्रतिलिपि को यो ।
७१. पुष्पमाल-हेमचंद्र सूरि ।। पत्र संख्या-१६ । साज-१०x४३ च । भाषा-पात । विषयधर्म । रचना काल-X । लेखन कल-X । पूर्ण वेधन नं. ३८५ ।
विशेष-हीं २ गुजराती भाषा में अर्थ दिया है जोकि सं. १४४६ का लिखा हुया है प्रति प्राचीन है। इसमें फूल ५०५ गाथाएँ दी हुई है। म. बाबा ने प्रतिलिपि की भी।
पत्र संख्या-३ गुजराती गध:
रति न्दरी राजपुत्रा नदनपुर बह रानाद परिणाप्रतिरुप पात्र समिली हस्तिनपुर नीराबाई प्रामा लायी सांग इव ममादिक अशुचि पाउ दिशाला राजा प्रतियोधउ साल राखिउ रिद्धि मन्दरी श्रेष्टि श्री व्यवहारि पुत्र परिणी समुद्र चर्टि प्रवहण मागड | फाष्ट पयोगि शून्य दीपि पहता । श्रीजा प्रवहणि चट्या रूपि मोहि तिथि भारि ससद माहिला विउ प्राचीने दह प्रवन्यनः।
७२. प्रश्नोत्तरोपासकाचार-समलकीर्ति । पत्र संख्या-७ से १४४ | HIEF-१६x४ इञ्च । भामासंस्कृत | विषय-प्राचार शास्त्र रचना काल-x1 लेखन काल सं.१७५३ मंगसिर मुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टन नं.१ ।
विशेष- अलवर में प्रतिलिपि हुई पी । यो प्रतियां और हैं ।
७३. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार - मुलाकीदास । पत्र संख्या-१३८ । साज-१२३४८० | मावा-हदा पद्य । विषय-याचार शास्त्र । रचना काल- १७४७ बैशाख मुदी ३ । लेखन काल-सं० १३५५ सावन मुवी “ । पूर्ण । बेशन नं. ३
विशेष-विमनलाल बडजात्याने अजमेर में स्व पठनार्ग प्रतिलिपि की थी।
४४. प्रायश्चितसमुच्चय चूलिका - श्री नदिगुरु । पत्र संख्या-2...। साइन-१२४१३ १४ । झाषा-संस्कृन । विषय-प्राचार शास्त्र । स्थना कास-X । लेखन काल-सं० १८२८ कार्तिक सुदी ५ | पूर्ण । वेष्टन नं. २१८ ।
विशेष-लालचंद रोंग्या ने प्रतिनिपि करवाकर, शन्तिनाब चायालय में चदाई । मेताम्बर मोतीराम में प्रति लपि की थी।
७५, प्रायश्चितसंग्रह-अकलंक देव । पत्र संख्या ८ | काल-xx. ft. ाला-संस्मत | विषय-यादार शास्त! रचना काख-
x खन काम-x पूर्ण । बेष्टन मं०३१।