Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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समझ }
विशेष-निल पाउ पूजा आदि का संग्रह है।
| भाषा-हिन्दी
लेखन काल-x!
८. गुटका नं. १००१ पत्र सर-१८ साज-Ext टनन·११.।
प
विशेष-पद व स्तोत्रसंग्रह है।
पूर्व
७१. गुटका नं० १.१ । पत्र संका-२.. I साइज-६x६ च 1 भाषा-हिन्दी । लेखन कास-X1 धन न. १.. ! विषय-सूवी का का नाम भाषा
भाषा
विशेष श्रादित्यवार कया __भाऊ , हिन्दी चतुर्विशति स्तुति
शुभचन्द्र श्रीपाल स्तोत्र
-
कामराज नाशि
कामरान का परिचय दिया हुआ है।
सठ शलाका पुरुषों का वर्णन
श्रीपाल स्तुति अजित जिननाय की विनती ( मोई प्यारो लागेजी)
पर्थ
च। मापा-संस्कृत-हिन्दो। लेखन
४२ गुटका नं. १०२ । पत्र संमया-१७ | साज-Ext काल-। पूर्ण । वेष्टन नं. ११०६ |
विशेष-नित्य नैमिशिक पूजा पाठों के अतिरिक्त मुरमा निम्न पाठ है--
नाम
मावा
विशेष
माक
श्रादित्यवार का श्रीपाल दर्शन पटमार वर्षान
श्रुतलाम
पूर्स
प्रारंभ-दोहा--प्रथम जिनसुर बंद करि भगति भाव उरलाय ।
करवर्गान षटमास कछु' . ... ....।
पौपाई-एक समै श्री वीर जिपाय, शिपलाचल पाये मुख ।
श्री जिनी अतिसे माय, सम जीवन को और पलाय ।