Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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नेमि राजमति जी
जखी का अंतिम
दिल्ली में प्रतिलिपि हुई थी.
तिलोकचंद पटवारी गोधा चाक वाटी ने से० १७८२ में प्रतिलिपि की थी।
फलसफलतामखि तीर्थकरों की जयमाल पार्श्वनाथ की मिनी बार हैं।
पूर्णा | नेष्टन नं० १६२२ ।
रेगराज
-नीस दिन अक निरवारजी ।
।
विषय-सूची
जिनराज स्तुति
१४. गुटका नं० १२५ पत्र संस्था ३२६४ भाषा-हिन्दी लेखन कास - X
हेम मथे जीन जानिये ते पाये म पार जी | 1
नेमीश्वर लहरी
पंचमेक पूज
चिन्तामयि स्तोष
पार्श्वनाथ स्तोष
फुटकर कवि
विधि पूजा
आदित्यवार कथा (छोटी)
ज्ञान पश्चीको
भक्तिमंगल
नित्यपूजा
जिन स्तुति
श्रादीश्वरजी का बचावा
सम्यक्त्वी का बघावा
क
कनककीर्त्ति
विश्वयुध्य
विराम
। ।
बनारसीदास
19
रूपचन्द ऋल्या पाकीति
सं०] १७०४ बाद सुदी ५ | यपूर्णा । वेष्टन नं० १२२४१
माथा
विशेष
हिन्दी (गुजराती) से० का० सं० १७५६ फागुन ६
सांगानेर में प्रतिलिपि हुई।
77
11
हिन्दी
13
13
"
विशेष पूजाओ के अतिरिक्त निम्न मुख्य पाठों का संभ
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हिन्दी
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97
93
[ संग्रह
२. का० सं० २७०४ श्राबाद सुदी |
० ० ० १००
पूर्ण
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19
श्रपू
१५. गुटका नं० १२६ । पत्र संख्या १२२-२४ भाषा-हिन्दी लेखन काउ