Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
सिद्धान्त एवं चर्चा ]
विशेष- २ प्रति और
रचना - तेन काल- पूई नं० ४२४ काल-X |
३४
सिद्धारमा
३२. पंचास्तिकाय भाषा टोका हिन्दी गय। विद्यय-सिद्धान्त रचना काल
शेषरामपुर में प्रतिलिपि हुई थी।
३३. पाचिक सूत्र- पत्र संख्या-2 - १३ भाषा-संस्कृत विषयन्ति।
पांडे हेमराज
लेखन
विशेष
प्रतिलिपि की थी।
पत्र संख्या १२१
T =
०१७१११०२४ ।
1
भगवती सूत्र - पत्र संख्गा २० से ८५४च भाषा विषय
-
सन १८६४१ अपूर्ण हननं० १९२ ।
गुजराती, हिन्दी में है। चंद के शिष्य तुलसा ने किशनगढ़ नगर मे
३५. भावसंग्रह--पंडित नामदेव पत्र संख्या ३४ साइज १५ ।मा-संस्कृत | विषय-सिद्धान्त । रमना काल- लेखन काल-सं० १८५० पीपी ७ पू वेष्टन नं० ३६।
विवृद्ध आनन्दराम के शिष्य
विशेष सवाई जयपुर में शान्तिनामा (इसी डोसियों के मन्दिर में श्रीचंद्र ने प्रतितिष की भी
विशेष – एक प्रति और है
३६. भावसंमह - देवसेन पत्र संख्या २०१३ माश-वातसिद्धान्त । रचना काल -X | लेखन काल -X | पूर्ण वेष्टन नं० ६०
३७. भावसंपद्दश्रुतमुनि पत्र पा-१२-१९६८ भाषा-प्राकृत विषय| | | | - धर्म ' रचना काल -X | लेखन काल सं० १५६६ माघ बुदी पूर्ण वेष्टन नं० २८६ ।
८
T
विशेष—घ हरिदास ने प्रतिलिपि को ३ प्रतिय और है।
३५. रसंचय - विनयराज गण पत्र संख्या १४ साइन- १० मावा विषय-सिद्धान्त रचनाकाल १०१०७० कार्तिक शुदीन नं० २०७१
३६. बिसार टीका- माचवचंद्र त्रैविद्यदेव पत्र संख्या सिद्धान्त । रचना काल - XX। लेखन काखX-०१ फागुन १४ । पूर्ण मेंटननं १२
श्री विद्यासागर सूरि के शिष्य लक्ष्मीसागर गोगा ने प्रतिलिपि की थी। पं० जीवा वाकडीबाल के पा की गई थी।
११ भाषा
इस।