Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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संग्रह 1
बंदिवान जयमाल
गीत
हेमराज
चौबीस तीर्थकर स्तुति के २ पथ हैं।
जीया मीत
विशेषतु मेरो पीच साजना रे तु तेरी वर नारि मेरा जीवठा |
पूजा संप
श्री जिनस्तुति
तुम बिन विद्या एक ना रहो रेखाले प्रेम पियार मेरा जीवडा । काया कामिणी वीनउ रे लाल ॥१॥
जिन नमस्कार
भ्रमं सरेजी
मेघकुमार गीत
पद
जीरकी भावना
ऋषमनाथ बेति
नेमिल गीत
पंचेन्द्रिय बेलि
कर्मरिंडोलना
नेमिगीत
नेभिराजमती गीत
दीवार कथा
भारह खड़ी
सीता की धनाद
तत्वार्थ सूत्र
म० तेजपाल
यशोनंदि
सनराम
पूनो
कविन्दर
बुगरी बैनादा
ठक्कुरसी
ह
संस्कृत
हिन्दी
झाऊकत्रि
लक्ष्मीचंद
उमास्वाति
38
संस्कृत हिन्दी
93
31
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77
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31
11
29
५
77
11
29
73
33
33
संस्कृत
पत्र ७२
७२
७४
६५०है।
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[ १६७
२०१
२१२
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११६
११७, ११ प है ।
१६२, २० है ।
१६६, २१ पद्म है
९६७, १० प हैं ।. है।
१०२२
१७३
१७५
१७३१. का. सं. १५८३
१८१
१८४
१०६ १० पथ है ।