Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ १५१
संग्रह ]
८०१. गुटका नं० १२०-२५ भाषा-हिन्दी लेखन काल बेननं १२१०।
विशेष – जीवों की संख्गा का वर्णन दिया हुआ है।
1
पत्र
१०. गुटका नं० १२१
पूर्व मेननं०.१२१८
विषय-सूनी
कक्का बचीसी
पद
नारी ि
मनुष्य की उत्पति
पद
श्री जिनराजे ज्ञान अभिधर ।।
सेवन काल - X
विनती
श्री जिन रिम महंतु गाऊ ||
उपदेश नसीसी
U
पूर्ण न नं १२२० ।
कर्ता
अजयराज
वारी हो शिव का लोमी
पूर्ण । वेष्टन नं १२२१ ।
दीपचंद
अजयराज
निम्न पाठों का संग्रह है
राज
विषय-सूनी
राजुल पथ्वीसी
नेमकुमार बारहमासा
५६६ माषा - हिन्दी लेखन का X
I
भाषा
हिन्दी
"
फर्ता
विनोदीलाल
23
११. गुटका नं० १२२ १४४३६ नावा-हिन्दी रचना काल -X | १२१६
"
विशेष मतिसागर से की कथा है। पद्म संख्या १०१ है प्रारम्भ में मंत्र जत्र सी दिये हुए –
|
"
12
१२. गुटका न० १२३ पत्र संख्या ६ सम्म भाषा-हिन्दी लेखन काल-XI
7"
77
31
विशेषगुणस्थान की चर्चा एवं नवल तथा भूधरदास के पद धीर खंडेलवाल गोत्रोत्पत्तिवन ।
१३. गुटका नं० १२४६
माषा-हिन्दी लेसन काल-X
विशेष
भष
हिन्दी
ष