Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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संग्रह
जिनजी की रसोई में सरकार के व्यंजनों एवं भोजनों के नाम गिनाये हैं। भगवान की बाल लीला का अच्छा गान किया है। मोजन के बाद वन विहार यदि का वर्णन भी है।
२. पद हैं।
सीई वर्णन दो जगह दिया हुवा है । एक में ३६ पय हैं वह अपूर्ण है। दूसरे में १६ पद्य तथा पूखे है। - पद-सेवग पा महर करो जिनराई
अजयराज
१२ अंतरे है। पत्र १०५-११३ मेष कुमार गति
२१ पथ हैं। शातिनाम जयमाल
अजयराज पद-प्रभु हस्सनागपुर जनम जाय " श्री जिनपूजाहायची
१४ पद हैं। , मन मनरकट चमेक बातम अपवाद ।
१५ पम है। धीबोस ताकर स्तुति अहो सिमामी खेमें हो पानअन राचि सध राजम फाग सुहावों,
७ पद माल्य वर्णन
" पद श्री सिरिघांस सकल गुण धार . संदीश्वर पुजा श्रादिनाम पूजा রুলিয়ানি রাখৰ কুর पाश्चनायनी का सालेहा
रचना सं० १७६३ श्रेष्ठ सुदी १५ । पंचमेस पक्षा महावीर, नेमीश्वर श्रादि समी वीधरों के १६ सिद्ध स्तुति कीसतीर्थकों की जयमात इंदना
७४०. गुटका न०५१ पास्या -६६ I साज-१x६ का माषा-हिन्दी-संस्कृत । लेखम कास-सं० १३ कार्तिक मुद्दा । पूर्व । वेष्ठन न. १.१.।
विषय-सूची
का नाम
भाषा
विशेष
हिन्ध (प)
आयुर्वेद नुस्खे
शिवा की बातें पंचममति की मेखि
हर्मकिसि
(पष)
रचना काल.
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