Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ कथा एवं रासा साहित्य ५५३. निशिभोजनत्यागकथा-भारामल्ल | पत्र संख्या-२० । साज-४६३ । भाषा-हिन्दी (पय) । विषय-कथा 1 रचना काल-X । लेखन काल-सं. १९२७ भाषया बुद्धी १५ । पूर्ण । वेष्टन नं० ५८५ ।
विशेष--एक प्रति और है।
५५४. नेमियाहलो-हीरा ! पत्र संख्या-११ । साज-१३४४ इञ्च 1 भाषा-हन्दी । विषय-कमा । रचना काल-सं० १८४८ । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन न. ११५० ।
विशेषद ... नेमिना लिलाट की घटना का विस्तृत वर्णन है-परिचय निम्न प्रकार हैसाल अठारास परमाया, ता पर अडतालीस वखाण | पोष कृष्णा पाच तिषि प्राणि, पारनहस्पति मन में प्राग्य 10 || खुदी को बै महा मुशान, ती मैं नेम जिनालय जान । ती मध्ये पाहत बर माग, रहै कवीश्वर उपमा गाय ॥२॥ ताको नाउ जिनण की सास, महा विचक्षण रहत उदास । सखि हीरो ताको नाम, ती कस्या नेम गुण गान॥२॥ इति श्री नेमि व्याहतो संपूर्ण । लिखत-चम्पाराम । छन्द संख्या ८२ है।
पत्र ५ से धागे बीनती समझाय, रतन साकत, शानचीपउसझाय, माणकचन्द फत, धूलेट के ऋषम देव का पद-तथा पेमराज कृत राजुल पचीपी-और है।
५५५. नेमिनाथ के दश भव ...... ...| पत्र संख्या-४ । साइज-१०६x४६ इन्न । भाषा-हिन्दी । विषय-कपा । रचना काल-X । लेसन काल-सं० १E७४ । पूर्ण । बेष्टन नं. ५७५ ।
५५६. पुण्याप्रवकथाकोष-दौलतराम | पत्र संख्या-२१६ ! साज-११४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषय-या । रचना काल-सं०१७७७ मादवा बुदी । लेखन काल-सं. १८EF | पूर्ण । वेष्टन २०१३ |
विशेष-लोक संख्या ८००० है । मंच महात्मा हरदेव लेखक से लिया था। ४ प्रतियां और है ।
४५. पुरन्दर चौपई - प्र. मालदेव । पत्र संख्या-१४ । सारज-exईच । माषा-हिन्दी । विषयकथा | रचना काल-x | लेखन काल-x 1 पूर्ण । वेष्टन • E1 ।
विशेष
अन्तिम पद्य-सौल बडी सवि थम मै प्रतं पाली है।
अनुस्व कोठ प्रधान | सी. तनागरी कछु पाईये 1 चिंता रतन समान | सी० ॥ ३ ॥ माव देव सूरी गुण नीलो । अ० ट ग कमल दिगणंद || सी तासु सीस इम कहा । 1 मालदेव याद । सी०७४| श्रगर्या मील तो जे कयो। म अनुमोदीजै तेय । सी० बो विरुद्ध किंपी करो न । मोका दुक्कड वेय । सी० ॥७॥
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