Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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प्रथा एवं रासा साहित्य
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पंडित होइ हमो मति कोई, बुरा मला पाखरू जो होइ । जेठमास श्रर पखि अंधियार, जागो दोर्दज अरविवार ।। ४४६ ॥ टीकम तणी बीनती एहु, लघु दीरघु संबार लू लेह । सुणत कया होई जे पास, हो तिन कै चरमण को दास ॥ मनथर कृपा रह जो कहै, चन्द्र हंस जोमि सुख लहै ॥ रोग निजीम न च्यापै कोई, मनधा क्या सुनै जै सोई ।। ४५० ।।
॥ इति चन्द्रहेंस कया संपुर्ण ॥ संवत् १८१९ वर्षे शाके १६७७ श्रापादकृष्णा तिथौ । बुधवासरे लिपि कृतं ॥ जोसी स्यौजीराम ।। शिखापितं धर्ममूरति घरमामा साह जी श्री डालूराम।।
५४७. चित्रसेनपद्मावतीकथा-पाठक राजवल्लभ । पत्र संख्या-१६ । साइज-३४४३ इंच । भाषा-संस्कृन । विषय-कथा | रचना काल-X । लेखन काल-सं० १७६१ । पूर्ण । श्रेष्टन नं. १०७४ ।
५४८. दर्शनकथा-भारामल्ल | पय संख्या-६८ । साइज-Ext: इञ्च | भाषा-हिन्दी | विषयकथा । रचना काल-४ । लेखन काल-सं० १९२७ आयाट चुदी १० ! पूर्व । बेष्टन नं० ५८४ |
विशेष - एक प्रति बोर है।
५४६. मानकथा--भारामल्ल । पत्र संख्या-३६ । साइज-११४५ हण | भाषा-हिन्दी । विषयकमा | रचना काल-X । लेखन काख-X । पूर्ण । वेटिन नं ० ५६८
विशेष—मूल्य (1) लिखा हुआ हैं।
५५०. नागश्रीकथा (रात्रिभोजनत्यागकथा)-० नेमिदत्त । पत्र संख्या-२- । साइज-११४४५ इश्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-कथा । रचना कात-४ । लेखन काल-२० १६७६ फाल्गुन बुदी ४ । पूर्थ | वेएन नं. १६८
विशेष – चाई तेजश्री वैजवाड में प्रतिस्ताप कराई । पहला पत्र बाद का लिखा हुआ है । एक प्रति और है।
५५१. नागश्रीकथा रात्रि भोजन त्याग कथा)-किशनसिंह । पत्र संख्या-२० । साइज-११४५३ रस | भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । रचना काल-सं० १७५३ सावन गुदी । लेखन काल-x। पूर्ण | वेष्टन नं. ५.1
विशेष-३ प्रतियां और हैं।
५५२. नागकुमारचरित्र-नथमल विलाला। पत्र संख्या-१०३ । साइज-११३४५३ च । मायाहिन्दी (प) । विषय-कथा । रचना काल-० १८३७ माघ सुखी ५ | लेखन काल-X | अपूर्ण । वेष्टन नं० ६१३ ।
विशेष अन्तिम पत्र नहीं है।