Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१२४ ]
[ संग्रह
७२६. गुटका नं० ३७ पत्र संख्या १०० साइज - ८४६ च । माषा - हिन्दी । ऐखन काल - X । वेष्टन नं० १००१ ।
विशेष—- केवल पूजाओं का संग्रह हैं ।
७२७. गुटका नं० ३८ पत्र संख्या ४४० | [ साइज ७३६ । माषा - हिन्दी । लेखन कालसं० २०२३ । पूर्ण । वेष्टन नं० १००२ ।
कर्ता का नाम
अन्य - नाम
यशोधर चरित्र भाषा
खुशालचन्द
विशेष- बीतरमल सेटी ने प्रतिलिपि की ।
चौबीस तीर्थकरों के नांव गांव घन
विशेष - नरहेड़ा में प्रतिलिपि हुई ।
षट् द्रव्य चर्चा
विशेष - छीतरमल सेठी ने नरहेड़ा में प्रतिलिपी | aौन लोक के चैत्यालयों का वर्णन
ち
ग्यारा
विषापहार भाषा
भक्तामर भाषा
--
व्यायण मन्दिर भाष
भाषा
हिन्दी
महाराज प्रणीराज लेख परधान पठायो ।
लेख काजि लाखीक वडम चवाण सवाय ॥ दाहिक नासि लाख यस्तु मालिन लीना ।
देखि स्यंघ गाडरी कोट का श्रारम्भ कीना ॥ से दरोध गढ़ नागौर चजीत गिर ।
म लगन तीज बैसाख इदि नींव देय भाष्यो नगर ऐसी धष्ट उपासना खान पान पैरान |
ऐसा जो मिलिबो सही तो मिलिन यो प्रमाण ॥
अन्चलकीर्ति
हिन्दी
बनारसीदास
हिन्दी
हिन्दी
निश्चय व्यवहार दर्शन
सं० १८२३
37
विशेष - छीतरमल सेठी बासी लूम्यूटको ने लाडखायों के रामगढ में खेतसी काला की पुस्तक से उतारी । कवित्त पृथ्वीराज चौहायका
हिन्दी
२० का ० सं०
१७६१
हिन्दी
""
ले० का
सं० १८२३
23
सं० २८२३
सं० २०२३
विशेष
रचनाकाल १७१५
नारनौल में रचना हुई।
सं० १८६३