Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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सोन]
विशेष-प्रन्य प्रशस्ति निम्न प्रकार है
श्री विजयदेव मूरिंद पटथर, तीरप जग मा पणि जाग । तप गच्छपति श्री विजयप्रमसूरि मूरि तेज झगमगर ॥२॥ श्री हीर विजय सूरी सीस वाचक श्री कीर्तिविजय मर गुरु समो । तस सीस वाचक चिनय विणयह, धरयो जिन चोरीस मो ॥३॥ सइ सरर संवत् उगणसीय रही राते रन्दउ मास ए । विजय दसमी विजय कारया कोड' गुण अभ्यासए ॥४॥ नरभव अराधना सिद्धि साधन त लीला विलासए।
निर्जरा हेत इठबन चिड नामइ पुण्य प्रकासए ॥५॥
६२२. बालोचना पाठ.. ........: पब मा... १९.२६:- १.६४ : भाषा-प्राकृत ! विषय-स्तवन । रचना काल-x 1 लेखन काल-XI पूर्ण । अष्टन नं०५१ ।
विशेष-प्रति प्राचीन है । एक एक प्रति और है। .
६३. इष्टछत्तीसी... ...... । पत्र संख्या-८ 1 साज-tx४३ पश्च । भाषा-संस्कृत | विषय . स्तोत्र ! रचना काल-x। लेखन काल-X । पूर्ण । थेटन नं० १०५३ । .
६२४. छत्तीसो-बुधजन ! पत्र संख्या-६ । साइज-१२४८ इन्च | भाषा-हिन्दी | विषय-स्तोत्र । रचना काल-X । लेखन काल-x 1 पूर्ण । वेष्टन नं ० ५२३ |
६२५. ऋषिमंडलस्तोत्र-गौतम गणधर । पत्र संख्या-७ । साइज-Ex४ च । माषा-संस्कृत । रचना काल-X । लेखन काल-सं० १६.२५ । पूर्ण । वेष्टन ०६६ ।
विशेष-एक प्रति और है।
६२६. एक सौ पाठ (१०८) नामों की गुणमाला-धानत । पत्र संख्या-३ । साa-Ex४ इञ्च । भाष:-हिन्दी । विषय-स्तोत्र | रचना काल-x | लेखन काल-सं० १६२५ । पूर्ण । वेष्टन नं. ३१८।
६२७. एकीभावस्तोत्र-वादिराज | पत्र संख्या-६ | साइन-१०४४३ इन्च । माया-संस्कृत । | विषय-स्तोत्र । रचना काल-x | लेखन काल-x | पूर्ण । वेष्टन नं० २६४ ।
विशेष-संक्षिप्त संस्कृत टीका सहित है । ५ प्रतियां घौर हैं।
६२८. कल्याणमन्दिरस्तोत्र-कुमुदचन्द्राचार्य । पत्र संख्या-६ । साइज-११४६ इञ्च । भाषा- - संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचना कास-X । लेखन काल-सं० १८६४ | पूर्व । वेष्टन नं ० ४६७ ।
विशेष-टोंक में प्रतिलिपि हुई थी । अन्त में शान्तिनाथ स्तोत्र मी है । ७ प्रतिया और हैं ।
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