Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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मंमद ]
नाम यांच
नमीश्वर जयमाल
गीत
नेमीश्वर गीत
शक्तिनाथ स्तोत्र
जनवरस्वामी बनती
भूतनुचा
हंसा सावमा
朗 कुमार
ओवरएस
ग्यारह प्रतिमावपन
पत्र रेमन काड़े को मूलिरह्यो
विषया बन सारी
नेमिराजमति बेलि
जिए लाइ गीत
पदय
सार मनोरथमाला
निरपे
भरतेश्वर बेराम्य
रोष ( को ) स
यादित्यवार कथा
पट्टा हुसेनंत
गीत
७१५. गुटका ०१००४ पूर्व तेन नं०७२।
विश्य सुनी पंचगांत वे
कर्चा
भारी ने गचंद
च
वीहव
शुरुभद्र
राम तिकोनि
पं० योगदेव
ब्रह्म अजित
पूनो
निदास
नि कनकामर
न्त्रील
ठाकुरसी
काराहमस
कुरसी
साह चल
भाऊ
श्र
कर्चा का नाप
दर्शनीति
अपभ्र
हिन्दी
हिंदी
संरकव
हिन्दी
최대
हिन्दा
हिन्दी
भाषा
21
14
21
37
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39
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हिन्दी
મંત
भाषा
हिन्दी लेखन का ० १७:४ की थी। अंत में इस
विशेष
पत्र १५
पद्म ४
पत्र २०
सरगरत में है।
गुरु
की जगह गुणभद्र भी
| नाम मिलता है। तीन दर है।
पत्र १०० तक
३७ पप ?
पत्र २२४
नं० २६ | पत्र संख्या - २०६ साइज - ४५ ३०१ भाषा-हिन्दी लेखन
17
११७
ܟܕ.
२१६
४
२२४
२.२.४
२२७
२.३
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RVR
२४२
कास·
विशे
नाकाल १६८३ | मधुपुरा में दम ने प्रतिलिपि नाम चहुँग विवेलि भी दिया है।