Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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काव्य एवं चरित्र ]
विशेष
प्रकार व लेखक प्रशस्ति पूर्ण है। लेखक प्रशस्ति का अन्तिम भाग इस प्रकार है
"एतेषा मध्ये 'ढाह देशे कछुवाहा राज्यावर्तमाने अमरसर नगरेतिनाम स्थितो धनधान्य चैत्य चैत्यालयादि सोमान व राज्य पदाश्रितो राजश्री सूज उधरयो राज्ये वसन संघड़ी का तेनेदी चरित्र लिखा ज्ञानपात्र
हुन
श्राचार्यं धर्मायदः ।
५०१. भद्रबाहुचरित्र - श्राचार्य रत्ननंदि । पत्र संख्या ४३३ साइज - १०४४ई इन भाषासंस्कृत | विषय - चरित्र । रचना काल -X | लेखन काल - सं० १७५० | पूर्ण । चेप्टन नं० २५० ।
विशेष एक प्रति और है।
५०२. भद्रबाहुचरित्रभाषा -- किशनसिंह । पत्र संख्या - २०२ | साइज - ११x४३ ६ | भाषा - हिन्दी | विषय-चरित्र । रचना काल ५० १७८० । लेखन काल -x | पूर्ण । वेष्टन नं ० ६०८ /
विशेष – पत्र ५५ के बाद निम्न पाटों का संग्रह हैं जो सभी किशनसिंह द्वारा रचित है
विषय-सूची
एकावली व्रत कथा
श्रावक मुनि गुण वर्णन गीत
पत्री दंडक
चतुर्विंशतिस्तुति
मोकार राख
जिनमक्ति गीत
चेतुन गीत
गुरुभक्ति गीत
निर्वाण कांड भाषा चेतन लौरो
नाची कथा (रात्रि भोजन त्याग कय। )
धि विधान कथा
कर्त्ता
किशनसिंह
33
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13
33
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11
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31
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रचना संवत्
X
x
१७६४
X
१७६०
X
x
X
१७८३ संग्रामपुर में रचना की
X
१७७३
१७५२ घागरे में रचना की गयी भी
५०३.
भाषा
भविसपत्तपंचमीकहा - धनपाल | पत्र संख्या - १३१ | साइन- ११४४४ इञ्च । अपभ्रंश | विषय - चरित्र । रवना काल - Xx 1 लेखन काल -x | पूर्ण । वेष्टन नं० २१७ |
श्लोक संख्या ३२०० ।
विशेष - ग्रन्थ की ३ प्रतिया और हैं। दो प्राचीन प्रतियां हैं।