Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
Kop
४४ ]
[अध्यात्म एवं योग शास्त्र बोधिनी सुगम निबुद्धद्या पूर्व टीकामवलोक्य विहिता बुद्धिभद्रः बोधनीया प्रमादात् । श्रल्पबुद्धया पत्रहीनाधिकं भव भवेत् तत् शोधनीयं पाचनेयं कृता मया किं महुकयनेन वाचकाना पाठकाना मंगलावली समवो भवेत् थी जिनम
२४. प्रति नं० २ - पत्र संख्या १२७ । साइज - १९४६ इच | लेखन काल -X | पूर्ण । वेष्टन
नं० ४२ ।
I
विशेष-संघ ही दीवान श्योजीराम ने पपने पुत्र कुंवर अमरचन्द के पठनार्थं प्रतिलिपि कराई थी। श्योजीराम दीवान के मन्दिर जयपुर में प्रतिलिपि हुई।
२८५. प्रति नं० ३ - पत्र संख्या - १६ | साइज - १३७ ६ । लेखन काल सं० १८६६ श्रासोज डुदी ४ पूर्ण । वेष्टन नं ० ४५
विशेष—– संघही दीवान श्रमरचन्द पडनार्थं पिर गदास महुश्रा के ने प्रतिलिपि की ।
२८६, प्रति नं० ४- पत्र संख्या १०० | साइज - १०५ च । लेखन काल शक सं० १८०० | पूर्ण | वेष्टन नं० ४७ ।
विशेष - [सं० ख ख त्रमुइन्दुमिते वर्षे शाकै माघ मास शुक्ल पते तिथी द्वितीयायां गुरुवारे धनेकवनवापी कृप तागजिन पैरेयालयादि विराजमाने बहुत्रिख्याते सफल भगराम मटं वादीनां शेखरीभूते पाति साह थी गुहम्मदशाह तत् सेवक महाराजाधिराज महाराजा श्री ईश्वरसिंहराजय प्रबर्तमाने सवाईपुरनामनगरे तब श्री पार्श्वनाथ चैत्रालये सोनी गोत्रे साह श्री प्रश्गदास जी का पिते । श्री मूलचे मंधानाये बलात्कार गये सरस्वति गच्छे श्री कुन्दकु दग्वदार्यान्वये मट्टारकजित श्री १०८ श्री महेन्द्र कीर्तिजी तस्य शासनवारी ब्रह्म श्री अमरचन्द्रस्तत् शिष्य पं० श्री जयमल्लस्तत् शिष्य पं मनोहरदास तत् शिष्य पं० श्री श्रीमतस्तत् शिष्य पं श्री हीरानन्दस्तद् शिष्य गरिष्ट बुद्धि वरिष्ट सफलतर्क मीमांसा सही प्रमुखादगुणानी व्याख्याने निपुण पंडितीत्म पंडित जितश्री चोख चन्द्रजीकस्य शिष्य तुकारामेण स्वशयेन स्वपठनार्थं ज्ञानावरणीय लिपिकता ।
२७. प्रति नं० ५ – पत्र संख्या ३६ | साइज - १०४०३६ | लेखन काल सं० १७२१ पष सुदी पूष्टन नं ० ० |
विशेष - सा० जोधराज ने प्रतिलिपि करवाई थी ।
3.55. समयसार नाटक - बनारसीदास | पत्र संख्या- ३०० | सहज - १०३४३ इ मात्राहिन्दी | विषय - श्रध्यात्म रचना काल सं० १६६३ । लेखन काल सं० १८६७ बुदी १४ | पूर्ण । देष्टन नं० ७४६ २८६. प्रति नं० २०पत्र संख्या- १६४ | साइज - ८३४ इंच
लेखन कास-सं० १००० कार्तिक
सुदी ७ पूछे । वेष्टन नं० ७५६ ।
विशेष – श्रीमानुसात्म पठनार्थं लिखितं । श्रमेर में प्रतिलिपि हुई । १४३ पत्र के आगे बनारसीदास कृत अन्य
आठ हैं। (गुटका