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प्राकृत-दीपिका
[ दशम अध्याय
प्रथमा तत्पुरुष ) । ( ३ ) दंव ( द्वन्द्व )-इसमें उभय पदार्थ का प्राधान्य होता है । ( ४ ) बहुव्वीही ( बहुव्रीहि )-इसमें अन्य पदार्थ की प्रधानता होती है । कम्मधारय और दिगु को तप्पुरिस से पृथक् गिनने पर छः (४+२) भेद हैं।
समास
बहुव्वीही (अन्यपदप्रधान)
अव्वईभाव (पूर्वपदप्रधान अव्ययः । प्रधान । जैसे-उवगुरु)
तप्पुरिस (उत्तरपदप्रधान)
वधिकरण समानाधिकरण (चक्कपाणी) ( जिइंदियो )
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दिगु
वधिकरण (भिन्नविभक्तिक) समानाधिकरण (समानविभक्तिक १. बीया-किसणसिओ २. तईया-जिणसरिसो ३. चउत्थी-लोहिओ कम्मधारय ४. पंचमी-वग्घभयं (विशेषण-विशेष्यभाव) ( संख्यापूर्वपद । ५. छट्ठी-विज्जाठाणं १. विशेषणपूर्वपद-पीअवत्थं जैसे-तिलोयं ) ६. सत्तमी-णरसेट्ठो २. विशेषणोभयपद-सीउण्हं
३. उपमानपूर्वपद-घणसामो (उभयपदप्रधान ) ४. उपमेयोत्तरपद-चंदाणण १. इतरेतरयोग-सुरासुरा ५. उपमानोत्तरपद-मुहचंदो २. समाहार-असणपाणं
३. एकशेष-पिअरा १ 'तप्पुरिस' के अन्य भेद
(क) न तप्पुरिस--अदेवो । (ख) पादि तप्पुरिस-पायरियो। २. बहुधीही के अन्य भेद--
(क) उपमान पूर्वपद-चंदमुही । (ख) न बहुव्वीही-अभयो। (ग) सह पूर्वपद__ सपुत्तो । (ख) पादि-निल्लज्जो।
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