________________
द्वितीय परिशिष्ट : धातुकोश अटकाता है-रोडइ
करता है कर अतिक्रमण करता है-अइक्कमइ कलह करता है कलहइ अपमान करता हैअवगणइ
कलंकित करता है - लंछइ अलग करता है-विओजइ
कल्पना करता है-प्पइ अलग होता है-विमइ
कहता है कहइ, भणइ, बोल्लइ, जंपइ अवगाहन करता है = ओगाहइ काटता है-लुअइ, छिन्नइ आक्रमण करता है - अक्कमाइ
कूटता है-कुट्टा आक्रोश करता है अक्कोसइ
कूदता है - कुद्दइ आक्षेप करता है - अक्खि वइ
क्रोध करता है-कुज्झइ, रूसइ आज्ञा देता है - आदिसइ
कृपा करता है-अणुग्गहइ आचमन करता है - आचमइ
खरीदता है=कीणइ आता है-आगच्छद
खांसता है-खास मादर करता है-आदरेइ
खाता है-खाअइ आरम्भ करता है-आरंभइ
खिन्न होता है-खिज्जइ आसक्त होता है-रंजइ
खिलखिलाता है अट्टहासं करेइ इकट्ठा करता है -चिणइ, संचयइ खिलता है-विअसह इच्छा करता है - इच्छइ
खिसकता है - सरइ उछलता है - फंफइ
खींचता है-करिसइ, कड्ढइ उठता है - उट्ठइ
खुजलाता है-कंडूअइ उड़ता है-उड्डेइ
खोद करता है-जूरद उत्पन्न करता है-जणइ
खेलता है - खेलइ उत्पन्न होता है- उप्पन्न
खोदता है-खणइ उद्धार करता हैउद्दर
क्षमा करता है-खमइ उपदेश देता है - उदिसइ
गर्जता है - गज्जइ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org