Book Title: Prakrit Dipika
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 286
________________ पुष्पादि] प्रथम परिशिष्ट : शब्दकोश [ २६१ मौसी-माउसिआ सास-सस्सू मौसेरा भाई माउसियाणेओ ससुर-ससुरो साढ़-सालिवोढो स्त्री-भज्जा, भारिया, दारा, पिआ सालासालो (४) पुष्प, सुगन्धितद्रव्य और औषधियाँ अजमोदा-अजमोदा गुलाबजल पाडलजलं असगन्ध - अस्सगन्धा गेंदा गणेसओ इत्र-पुप्फसारो गेरू-गेरिअं ईसफगोल - सीयबीयं चमेली - जाइ, मालती कत्था खदिरो चम्पा-चंपा, चंपओ कमल = पोमं, कमलं चूना=चुण्णं कस्तूरी - कत्थुरिआ केवड़ा केतई, केअई जूही-जूहिआ केवड़ाजल-केअईजलं पीपल - पिप्पलो केसर - कुकुम बेला मल्लिआ बस उसीरो मौलसिरी-बउलो गुलाब-पाडलो सोहागा-टंकण (५) अस्त्र गुप्ती करवालिआ भाला-कून्तो ढाल-फलओ लाठी-लगुडो, डंडो तलवार - असी, टंको, करवालो वी-सल्लं बन्दूक - नाली हथियार-अत्थं, सत्थं, आउहं (६) पशु-पक्षी उल्लू - उलुओ कौआ काओ, वायसो ऊँट-कमेलो, करहो कबूतर- कवोओ खजन-खंजनो कुत्ता-कुक्कुरो, सारमेयो खरगोश-ससो कोयल - कोइलो, परहुतो गधा गद्दहो, रासहो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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