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प्राकृत-दीपिका
[ एकोनविंश पाठ
पाठ १९ सम्बन्धार्थ एवं अधिकरणकारक उदाहरण वाक्य [ षष्ठी एवं सप्तमी विभक्तियों के विशेष प्रयोग ]
१. क्या सीता उन सब ( स्त्रियों ) की बहिन है कि सीया ताण बहिणी
___ अत्वि
?
२. यह मेरी पुस्तक नहीं है - इदं मज्झ पुत्य पत्थि । ३. इस साड़ी का रंग पीला है - इमाअ साडीआ रंग पीअं अस्थि । ४. वह ज्ञान के निमित्त से ( हेतु से ) यहाँ रहता है- सो णाणस्स हेउस्स
__अत्थ वसइ । ५. गायों में काली गाय अधिक दूध देने वाली होती है - गवाण गोस् वा
किसणा बहुक्खीरा हवइ । ६. क्या संसार का कर्ता ब्रह्मा है - किं संसारस्स कत्ता बम्हा अस्थि । ७. वह शास्त्र का पण्डित नहीं है - सो सत्थस्स पण्डिओ णत्थि । ८. यह सोने और चांदी की दुकान है = इमो हेमस्स हिरण्णस्स य आवणो
अस्थि । ९. पेड़ का पत्ता गिरता है = रुक्खस्स पत्तो पडइ । १०. यह कृष्ण की कृति है - किसणस्स कइ इयं । ११. इन मनुष्यों में क्षमा है - इमेसु गरेसु खमा वसइ । १२. उस साधु में तेज है - तम्मि साहुम्मि तेओ अत्थि । १३. इस तालाब में कमल हैं = इमम्मि पोक्खरे पाडला सन्ति । १४. इस महल में खजाना है - इमम्मि पासायम्मि कोसो अस्थि ।
१५. राम गायों का स्वामी है - रामो गवाणं गोसु वा सामी अस्थि । नियम
४६. निम्नोक्त स्थलों में षष्ठी विभक्ति होती है-(क) जिससे सम्बन्ध (स्व-स्वामिभाव आदि ) बतलाया जाए। (ख) हेतु, कारण आदि शब्दों के प्रयोग होने पर हेतु और हेत्वर्थ में। (ग) जिन ( बहुतों में ) से 'गाँटा जाए, उसमें ( सप्तमी भी)। (घ) कृत्-प्रत्ययान्त शन्दों का प्रयोग होने पर कर्म में और कर्म के न होने पर कर्ता में।
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