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प्राकृत-दीपिका
[ प्रथम पाठ
१६. मैं वन्दना करता हूँ या करती हूँ = अहं वंदामि । १७. तुम भोजन करते हो = तुम भुजसि । १८. तुम सब लिखते हो - तुम्हे लिहित्था । १९. वे सब सोते हैं - ते सयन्ति ।
२०. हम सब देखते हैं - अम्हे पासामो । नियम---
१. क्रिया कर्ता के पुरुष और वचन के अनुसार होती है । २. कर्ता के लिङ्ग का क्रिया पर प्रभाव नहीं पड़ता है।
३. अम्ह (अष्मद्) और तुम्ह ( युष्मद् ) शब्दों के रूप तीनों लिङ्गों में समान होते हैं।
४. सामान्य वर्तमान काल में 'वर्तमान काल' की क्रिया का प्रयोग होता है ।
५. हमेशा 'सुबन्त' और 'तिङन्त' पदों का ही प्रयोग करें अर्थात् शब्द रूपों के प्रत्ययों से युक्त सुबन्त पदों का तथा धातुरूपों के प्रत्ययों से युक्त तिङन्त पदों का ही प्रयोग करें। विभक्ति प्रत्ययहीन केवल प्रातिपदिकों (शब्दों) अथवा धातुओं (क्रियाओं) का प्रयोग न करें।
६. सभी संज्ञा पद प्र० पु. में होते हैं । अतः उनके साथ किया भी प्र० पु० की ही होती है।
७ प्राकृत में द्विवचन नहीं होता है, अतः उसके लिए बहुवचन का ही प्रयोग होता है। यदि द्विवचन का अर्थ बतलाना हो तो क्रिया-पद या संज्ञा-पद के साथ 'दु' (द्वि! शब्द के बहुवचन का (द्वि शब्द के रूप प्राकृत में बहुवचनान्त ही होते हैं) प्रयोग करना चाहिए ।
८. 'अस' धातु के रूप भूतकाल को छोड़कर सर्वत्र सभी पुरुषों और वचनों में 'अत्थि' रूप भी प्रचलित है। अभ्यास--
(क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए-वे सब पढ़ते हैं (पढ)। वह इच्छा करती (इच्छ) है । हम सब घूमते (भम) हैं । तुम दोनों जानते हो (जाण)। महावीर
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