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प्राकृत-दीपिका
[ तृतीय पाठ
१३. यह किसकी लड़की है=इमा काम धूआ अस्थि ? १४. ये पुस्तकें किन (स्त्रियों) की हैं -इमाणि पोत्थआणि काण सन्ति ? १५. क्या वह शास्त्र का पण्डित है कि सो सत्थस्स पंडिओ अस्थि ? १६. यह कमल का फल है - इदं कमलस्स पुप्फ अस्थि । १७. हम इस समय सोते हैं = अम्हे दाणि सयामो। १८. मैं शीघ्र नहीं जाता हूँ अहं झत्ति ण गच्छामि । १९. इन खेतों में पानी नहीं है-इमेसु खेतेसु जलं णस्थि ।
२०. किन नदियों में सदा नावें तैरती हैं - कासु नईसु सया नावा तरति ? नियम
१७. अव्यय सभी लिङ्गों, विभक्तियों और वचनों में अपरिवर्तित रहते हैं।
१८. विशेषण और क्रिया-विशेषण प्रायः अपने-अपने विशेष्य के पहले आते हैं।
१९. सर्वनाम (जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं) और विशेषण (जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं) शब्दों के लिङ्ग, विभक्ति और वचन अपने-अपने विशेष्य के अनुसार होते हैं ।
२०. क्रिया-विशेषण सदा नपुंसक लिङ्ग के एकवचन में होते हैं।
२१. य (च) का प्रयोग जुड़े हुए शब्दों के बाद में अयवा जुड़े हुए शब्दों के दोनों ओर करना चाहिए। .
२२. कर्ता जब 'य' से जुड़े हुए हों तो क्रिया बहुववन में होगी।
२३. प्रश्नवाचक ( Interrogative ) और निषेधवाचक ( Negative ) वाक्य भी साधारण ( Affirmative ) वाक्यों की ही तरह होते हैं। प्रश्न का भाव किं, कओ ( कुतः), कहं ( कथम् ), कहिं (कुत्र) आदि अव्ययों को जोड़कर प्रकट किया जाता है तथा वाक्य के अन्त में प्रश्तसूचक चिह्न भी लगाया जाता है। निषेध का भाव व्यक्त करने के लिए साधारणतः 'ण' का प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी व्यजम से आरम्भ होने वाले शब्दों के आदि में
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