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भूतकालिक वाक्य ]
भाग २: अनुवाद
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५. यह पुस्तक समाप्त हुई इणं पोत्थ समतं । नियम
३९. भूतकाल का अर्थ प्रकट करने के लिए भूतकालिक 'त, अ और द' इन प्रत्ययों का क्रिया के रूप में भी प्रयोग होता है । कर्तृवाच्य की क्रिया का लिङ्ग और वचन कर्ता के अनुसार, कर्मवाच्य की क्रिया का लिङ्ग और वचन कर्म के अनुसार होगा। भाववाच्य की क्रिया नपु० एकवचन में ही होगी। अभ्यास--
(क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए---कुम्भकार ने घड़ा बनाया। बालिका ने जल पिया और सो गई। श्याम ने पढ़ी हुई पुस्तकें पुनः पढ़ीं। राम, सीता
और लक्ष्मण वन में गये। उन कन्याओं ने बगीचे से दो फूल तोड़े। राजपुरुषों ने नगर की रक्षा की। क्या मैंने पुस्तकें पढ़ीं।
(ख) हिन्दी में अनुवाद कीजिए--मए कोहो जिओ। किं तुमए इमं फलं दिळं । साहूहि णाणं पण्णत्तं (प्रज्ञप्तम्) । किं ण सुयं तेण अम्हाण वयणाणि ? तुम्हह हसितं । बहूहि सासूए सुस्ससि । तेण तिलंतरं पि ण चंकमि । इमं कज्ज केण कयं (कृतम्) ।
पाठ १६ क्रियातिपत्ति या हेतु-हेतुमद्रावात्मक वाक्य
उदाहरण वाक्य [ जइ और ता अव्ययों के साथ ज्जा, ज्ज, न्त और माण प्रत्ययों का प्रयोग ]१. यदि ध्यान से पढ़ोगे तो परीक्षा में सफल होगे - जइ झाणेण पढेज्जा
(पढेज्ज पढन्तो पढमाणो वा) ता परीक्खाए सहलं होज्जा। २. यदि तुम वहाँ जाते तो सब जान जाते-जइ तुमं तत्थ गच्छेज्जा ता
सव्वं जाणेज्जा। ३. वैद्य को शीघ्र बुलाओ अन्यथा रोगी अवश्य मर जायेगा वेज्जो सिग्धं
आणेज्जा अण्णहा रुग्गो अवस्सं मरेज्जा।
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