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प्राकृत-दीपिका
[ षोडश पाठ
४. यदि तुम लोभी होते तो गड्ढे में गिरते-जइ तुम लुतो होज्जा ता
खड्डम्मि पडेज्जा। ५. यदि वह उद्यमशील होती तो समय पर काम करती-जइ सा उज्जम
सीला होज्जा ता समयाम्मि कम्मं करेजा। ६. ध्यान से पढ़ो अन्यथा फेल हो जाओगे - झाणेण पढेज्जा अण्णहा अणु.
तीण्णो होज्जा। ७. यदि मेरे पास धन होता तो मैं बहुत खुश होता जइ मज्झ समीवे धणं
होज्जा ता अहं बहुपसण्णो होज्जा। नियम
४०. यदि किसी वाक्य से हेतु-हेतुमद्भाव (पूर्ववाक्य से कारण की और उत्तर वाक्य से फल) की प्रतीति होती हो तो ऐसे वाक्यों की दोनों क्रियाओं में क्रियातिपत्ति के प्रत्ययों (ज, ज्जा, न्त और माण) का प्रयोग होता है। इनके रूप सभी पुरुषों, वचनों और कालों में एक समान होते हैं। अभ्यास
(क) प्राकृत में अनुवाद करो--यदि तुम मेरी बात मानोगे तो जीवन में सुखी रहोगे। यदि मैं ध्यान करूंगा तो पाप कर्मों को नष्ट करूंगा। यदि वह तुम्हारा मित्र है तो तुम्हारा कार्य अवश्य करेगा। तुम परिश्रम करो अन्यया पास कैसे होगे ? यदि ऐसी बात है तो तुम जाओ। यदि तुम यहाँ आते तो मैं तुम्हारे साथ चलता। यदि पानी बरसेगा तो मैं नहीं जाऊँगा । यदि मैं उसे धन देता तो वह विदेश की यात्रा करता । यदि तुम इस रहस्य को जान जाते तो तुम मेरा उपहास न करते।
(ख) हिन्दी में अनुवाद करो--जइ तमं पुत्वं आगच्छेज्जा ता ममं अत्थ पासेज्जा । जइ दीवो होज्जा ता अंधयारो नस्सेज्जा । जया णाणं होज्जा तया अण्णाणं नस्सेज्जा । जइ अहं कज्जं करेज्जा ता धणं अवस्सं लभेज्जा। जइ सा भणेज्जा ता सो हसेज्जा । जइ आरंभेव सत्तुस्स दमणं न करेज्जा ता अज्ज सो अणियंत्तणो होज्जा। जइ हं पंच छणं पुव्वं आगच्छेज्जा ता रेलजाणोवरि आसीणो होज्जा।
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