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प्राकृत-दीपिका
। द्वितीय पाठ
१२. विद्यालय में छात्र पढ़ते हैं-विज्जालये छत्ता पढन्ति ।
१३. विद्वान् में बुद्धि है=सुधिम्मि बुद्धि अस्थि । नियम
९. कर्तृवाच्य के कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है । कर्ता का सामान्य चिह्न है 'ने' ।
१०. कर्तृवाच्य के कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है। कर्म का सामान्य चिह्न है 'को'।
११. करण में तृतीया विभक्ति होती है। करण (साधकतम्) का सामान्य चिह्न है 'के द्वारा।
१२. सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है। चतुर्थी और षष्ठी के रूप प्रायः एक समान होते हैं । सम्प्रदान का सामान्य चिह्न है 'के लिए' ।
१३. अपादान में पञ्चमी विभक्ति होती है । अपादान ( अलगाव ) का सामान्य विह्न है 'से' ।
१४. स्व-स्वामीभाव आदि सम्बन्धों में षष्ठी विभक्ति होती है। षष्ठी का सामान्य चिह्न है ‘का, के, की' ।
१५. अधिकरण ( आधार ) में सप्तमी विभक्ति होती है। आधार का सामान्य चिह्न है ‘में, पे, पर' ।
१६. 'सह' के योग में अप्रधान में तृतीया होती है । ( देखें, वाक्यं न० ५) अभ्यास--
(क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए-वह कवि को देखता है । पुलिस वाले चोरों को पकड़ते हैं । मैं लेखनी से लिखता हूँ। आचार्य शिष्यों को पढ़ाते हैं । बुद्धिमान् (वहा) मूखों को उपदेश देते हैं। योद्धा युद्धस्थल में युद्ध करते हैं (जुज्झ)। मंदिर का पुजारी फूल चुनता है। नौकर (भिच्च) उपवन में घूमता है। मैं साधु के लिए भोजन देता हूँ। तुम पेड़ से गिरते हो। तुम सब पुस्तकें बेचते
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