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प्राकृत-दीपिका
[ द्वादश पाठ
(ख) मेरे द्वारा तुम पूछे जाते हो-मए तुमं पुच्छिज्जसि ( कर्म )।
(ग) मेरे द्वारा तुप पूछे जाओ - मए तुसं पुच्छीअहि ( कर्म० आज्ञा० )। ५. तुम्हारे द्वारा पुस्तक पढ़ी गई - तुमए पोत्थ पढीअईअ पढिज्जीअ वा। ६. सास के द्वारा बहु संतुष्ट की गई सासूए बहू तूसीअईअ तूसिज्जीम वा। ७. छात्रों के द्वारा ग्रंथ सुने जायें=छत्तेहि सत्थाणि सुणीअंतु ( कर्म०विधि०) । ८. तुम्हारे द्वारा मैं देखा जाऊँगा - तुमए अहं पासिहिमि ( कर्म० भवि० )। ९. (क) मेरे द्वारा हँसा गया = मए हसीअईअ हसिउजीअ वा ( भाव० भूत० )।
(ख) मेरे द्वारा हंसा जाता है-मए हसीअइ ( भाव. वर्तमान )। (ग) मेरे द्वारा हंसा जायेगा - मए हसिहिइ ( भाव० भवि०)।
(घ) मेरे द्वारा हंसा जाए-मए हसिज्जउ हसीअउ वा ( भाव० विधि० )। १०. तुम सबके द्वारा ध्यान किया जाता है-तुम्हेहि झाईअइ (भाव०वर्त०)। नियम--
३५. प्रकृत में संस्कृत की तरह कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य इन तीन प्रकार के वाच्यों का प्रयोग किया जाता है। इस पाठ से पूर्व यहाँ केवल कर्तृवाच्य का प्रयोग बतलाया गया है। तीनों वाच्यों के नियम निम्न प्रकार हैं
(क) कर्तृवाच्य में--इसमें कर्ता प्रधान होता है। अत: (i) कर्त्ता में प्रथमा, (ii) कर्म में द्वितीया और (iii) क्रिया कर्ता के ( पुरुष, वचन आदि के ) अनुरार होती है। धातुओं के सभी मूल रूप कर्तृवाच्य में ही होते हैं ।
(ख) कर्मवाच्य में-इसमें कर्म प्रधान होता है। अतः (i) कर्म में प्रथमा, (ii) कर्ता में तृतीया, (iii) क्रिया कर्म के ( पुरुष, वचन आदि के ) अनुसार तथा (iv) शेष कारक कर्तृवाच्य की ही तरह होते हैं। कर्मवाच्य की क्रिया बनाते समय मूल क्रिया में ईअ, ईय अथवा इज्ज प्रत्यय जोड़े जाते हैं पश्चात् अन्य वर्तमान कालिक आदि प्रत्यय प्रयोगानुसार जोड़े जाते हैं । भविष्यत्काल में तथा क्रियातिपत्ति' में ईअ ईय और इज्ज को बिना जोड़े केवल सामान्य भविष्यत् काल की क्रिया या सामान्य क्रियातिपत्ति की क्रिया का प्रयोग किया जाता है। १ क्रियातिपत्ति के प्रयोग के लिए देखें-पाठ १६ ।
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