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वाच्यपरिवर्तन ] भाग २ : अनुवाद
[ १५९ (ग) भाववाच्य में--इसमें भाव (क्रिया) प्रधान होता है। अतः (i) कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है। (ii) क्रिया सर्वदा प्र० पु० एकवचन में होती है। (iii) कर्म का अभाव रहता है। (iv) भाववाच्य की क्रिया के रूप कर्मवाच्य की क्रिया की ही तरह बनते हैं।
नोट-- वाच्य-परिवर्तन में कर्ता, कर्म और क्रिया में ही परिवर्तन होता है, शेष वाक्यंश अपरिवर्तित रहता है। अभ्यास--
(क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए--मेरे द्वारा राजा देखा जाता है। बालकों के द्वारा पुस्तकें पढ़ी जाती हैं । गुरु के द्वारा तुम पूछे जाते हो। मेरे द्वारा तुम संतुष्ट किए गये। उनके द्वारा वह चित्र न देखा जाए। तपस्वी के द्वारा तुम देखे जाओगे। छात्रों के द्वारा लेख लिखे जायें। मेरे द्वारा नौकर भेजा गया। उसके द्वारा तुम पूछे जाते हो। लंकाधिपति रावण ने राम के पास दूत भेजा। कृष्ण ने राधा को देखा। मैं सोया। उसके द्वारा खाया गया। तुम्हारे द्वारा रोया जाता है ।
(ख) हिन्दी में अनुवाद कीजिए--सीसेहि झाईअइ । तेण भणीअईअ । बालाए नमीअउ । तुमए कंदुओ खेलीअउ । सुधिणा अहं पासीअमु । गोवालेण गउओ दुहीअइ । भारवाहेहिं भारो णीअई। तुमए सो णिवो भणीअइअ । तेहि भिच्चो पेसिज्जइ। मए देवो अच्चीअइ । तुमए कि कज्जं करीअइ । साहुणा गथाणि लिहिज्जंति । पुरिसेण फलाणि कि ण भुजीति ? तेहि घरस्स कज्जाणि ण करिज्जीअ । मन्तीहि णिवो तूसीअईअ। इत्थीए साडी कीणीअउ।
पाठ १३ 'जाते हुए' आदि वाक्य उदाहरण वाक्य [ न्त और माण इन वर्तमान-कालिक कृत् प्रत्ययों कृदन्त विशेषणों का प्रयोग }--
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