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प्राकृत-दीपिका
[ त्रयोदश पाठ
१. गर्जता हुआ मेघ बरसता है-गज्जन्तो मेहो वरिसइ । २. जाते हुए बालक हँसते हैं = गच्छंता बालआ हसंति । ३. पढ़ती हुई युवतियां खेलती हैं = पढन्तीओ जुवईओ खेलन्ति । ४. क्या अध्ययन करते हुए मित्र की यह पुस्तक नहीं है कि अझीयमाणस्स
मित्तस्स इदं पोत्य णत्थि । ५. हिलते हुए फूल गिरते हैं-कंपमाणाणि पुप्फाणि पडन्ति । ६. लजाती हुई बधुओं में विनय है लज्जमाणीसु बहसु विणयं अस्थि ।
७. रोता हुआ वह बालक दौड़ता है=रुदन्तो सो बालो धावइ । नियम
३६. 'जाते हुए', 'पढ़ते हुए' आदि गौण-क्रियाओं से उनके वर्तमान में होते रहने की प्रतीति होती है तथा वे किसी संज्ञा आदि की विशेषग होती हैं । ऐसे वाक्यों का अनुवाद करते समय मूल-क्रिया में न्त और माण इन वर्तमानकालिक कृत्-प्रत्ययों को जोड़ा जाता है पश्चात् उनके विशेषणरूप होने से उनमें प्रथमा आदि विभक्ति-प्रत्यय विशेष्य के अनुसार जोड़े जाते हैं। अभ्यास
(क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए-उड़ते हुए कबूतरों ( कवोआण ) की क्या यह पंक्ति है ? दौड़ता हुआ मृग जंगल में छिपता है। क्या स्नान करती हुई बालिकाओं की ये मालायें हैं ? ये पुस्तकें पढ़ने वाले छात्रों के लिए हैं । ध्यान करते हुए इन साधुओं में क्षमा है । यह भक्त नमन करते हुए कुछ पढ़ता है । नाचते हुए मयूर (मोर) को मैं देखता हूँ।
(ख) हिन्दी में अनुवाद कीजिए-गज्जन्तेसु मेहेसु जलं लहु होइ । खेलन्ताणि मित्ताणि फलाणि खादन्ति । णच्चन्तीहि इत्थीहि इदं घरं सोहइ । किं बोलन्तो णरो कमलं गिण्हइ। पलायमाणस्स बालअस्स इदं कलमं अस्थि। पढन्तीहितो जुवईहिंतो सो पोत्थों मग्गइ । भणमाणा सुधिणो गच्छन्ति । पढन्तेण मित्तण कि कज्जं अस्थि ?
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