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प्राकृत-दीपिका
[ दशम पाठ
२. क्या तुम खेलने के लिए प्रतिदिन यहाँ आते हो = कि तुम खेलि
अत्थ पइदिणं आगच्छसि ? ३. वह प्रश्न पूछने के लिए सेवा करती है-सा पण्डं पुच्छिउं सेवइ । ४. मैं गीत सुनने के लिए शीघ्र नया = अहं गीअं सुणिउं झत्ति गच्छी । ५. क्या वह उपदेश देने के लिए इस समय पढ़ती है = किं सा उवदिसिउं
दाणि पढइ ? ६. मैं बुद्धिमान बनने के लिये पढ़ गा = अहं वुहा होउं पठिस्सामि । ७. तुम यह कार्य करने में समर्थ नहीं हो - तुम इदं कज्ज करिउंग
समत्थो असि। ८. वन जाने की इच्छा है = वणं गच्छिउं इच्छा अस्थि । ९. यह जाने का समय है = इमो गच्छिउँ कालो। १०. यह समय आपस में झगड़ने का नहीं है - नायं समयो परोप्परं विव
दितए । नियम
३०. निमित्तार्थक या हेत्वर्थक ('को' या 'के लिए' ) अर्थ प्रकट करने के लिए धातु में 'तु' और 'दु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं । 'तु" और 'दु' प्रत्ययान्त पद अव्यय होते हैं। ऐसे वाक्यों ( निमित्तार्थक वाक्यों ) में मुख्य क्रिया का कर्ता और 'तु' प्रत्ययान्त क्रिया का कर्ता एक ही होता है।
३१. 'जाने को है' या 'जाने वाला है' आदि अर्थों में भी 'तु' और 'दु' प्रत्ययों का प्रयोग होता है ।
३२. कभी-कभी 'अत्थि' आदि क्रिया का प्रयोग स्पष्टार्थ होने से नहीं भी किया जाता है। अभ्यास
(क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए--वह परीक्षा में पास होने के लिए पढ़ता है। छात्र पुस्तकें खरीदने के लिये बाजार जाते हैं। क्या तुम व्याकरण पढ़ना
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