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प्राकृत-दीपिका
[षष्ठ पाठ
स्त्री आज यहाँ नाचेगी ? वह क्या कार्य करेगा ? क्या तुम वहाँ अधिक बोलोगे ? वे दोनों पुस्तकें देखेंगे ( पेच्छिहिंति ) । आज तुम कथा कहोगे (कहिहिसि) । कल माताजी इलाहाबाद से आयेंगी। हम देश का विकास करेंगे। जुलाई मास में कालेज खुलेगा ( उग्घहिइ)। हम लोग दिल्ली जायेगे। आज वह स्कूल जायेगा।
(ख) हिन्दी में अनुवाद कीजिए-तुम्हे धेणूओ पासिहित्था । णरो खेत्ताणि कस्सिहिइ । भूवई इमाणि णयराणि जयिहिइ । तुम फलाणि भुजिहिसि । अम्हे ताणि पुप्फाणि गिहिहामो। सीसो सत्याणि ( शास्त्र ) पढिहिइ । ते घराणि ग इच्छिहिति । सो एकल्लो किं करिस्सइ ? तुमं विस्सविज्जालयस्स अहियारी होहिसि । खेत्ते सस्सं उप्पज्जहिइ । सो जंबुफलाणि खाअहिइ । ते अम्हाणं उवहाराओ कज्जाओ य पसण्णा होहिन्ति । अहं सच्चं बोल्लहिमि । सो वणम्मि झाणहिइ । किं कल्लं जलं बरसहिइ। कि तुमं णियपोत्थयं आणेहिसि ? अहं कमलाणि पासिहिमि ।
पाठ ६ अपूर्ण वर्तमान-भूत-भविष्यत् काल उदाहरण वाक्य [ जा रहा, खेल रहा आदि वाक्यों का प्रयोग ]--
१. मनोरमा काम कर रही है मगोरमा कज्ज कुणन्ती अस्थि । २. मैं परमात्मा का ध्यान कर रहा हूँ-हं ( अहं ) परमप्पं झाणन्तो म्हि । . ३. मैं सच बोल रहा हूँ अहं सच्चं बोल्लामि ।। ४. क्या वह गुरु को प्रणाम कर रहा है - किं सो गुरुं पणमइ ? ५. तुम पढ़ नहीं रहे हो - तुमं पढन्तो न अस्थि । ६. बालक खेल रहे हैं बालआ खेल्लन्ति ( खेलं कुणन्तो सन्ति )। ७. गुरु शिष्यों को उपदेश दे रहे हैं-गुरु सिस्साण उवएसं देंतो अत्यि । ८. तुम्हारी स्थूलता बढ़ रही है तुम्हाणं पीणिमा वढइ । ९. क्या तुम पुस्तक पढ़ रहे थे- किं तुमं पोत्थयं पढीअ ?
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