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________________ ७४] प्राकृत-दीपिका [ दशम अध्याय प्रथमा तत्पुरुष ) । ( ३ ) दंव ( द्वन्द्व )-इसमें उभय पदार्थ का प्राधान्य होता है । ( ४ ) बहुव्वीही ( बहुव्रीहि )-इसमें अन्य पदार्थ की प्रधानता होती है । कम्मधारय और दिगु को तप्पुरिस से पृथक् गिनने पर छः (४+२) भेद हैं। समास बहुव्वीही (अन्यपदप्रधान) अव्वईभाव (पूर्वपदप्रधान अव्ययः । प्रधान । जैसे-उवगुरु) तप्पुरिस (उत्तरपदप्रधान) वधिकरण समानाधिकरण (चक्कपाणी) ( जिइंदियो ) - दिगु वधिकरण (भिन्नविभक्तिक) समानाधिकरण (समानविभक्तिक १. बीया-किसणसिओ २. तईया-जिणसरिसो ३. चउत्थी-लोहिओ कम्मधारय ४. पंचमी-वग्घभयं (विशेषण-विशेष्यभाव) ( संख्यापूर्वपद । ५. छट्ठी-विज्जाठाणं १. विशेषणपूर्वपद-पीअवत्थं जैसे-तिलोयं ) ६. सत्तमी-णरसेट्ठो २. विशेषणोभयपद-सीउण्हं ३. उपमानपूर्वपद-घणसामो (उभयपदप्रधान ) ४. उपमेयोत्तरपद-चंदाणण १. इतरेतरयोग-सुरासुरा ५. उपमानोत्तरपद-मुहचंदो २. समाहार-असणपाणं ३. एकशेष-पिअरा १ 'तप्पुरिस' के अन्य भेद (क) न तप्पुरिस--अदेवो । (ख) पादि तप्पुरिस-पायरियो। २. बहुधीही के अन्य भेद-- (क) उपमान पूर्वपद-चंदमुही । (ख) न बहुव्वीही-अभयो। (ग) सह पूर्वपद__ सपुत्तो । (ख) पादि-निल्लज्जो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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