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शब्दरूप]
भाग १ : व्याकरण
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बहुवचन उ, ओ, लोप
लोप
(ग) आकारान्त स्त्रीलिङ्ग संताओं मेंविभक्ति प्र०
म् > अनुस्वार (आ>म) अ, इ, ए षष्ठी के समान अ, इ, ए, तो, ओ, उ, हितो ('तो' होने पर 'आ' को ह्रस्व)
हि, हिं. हि षष्ठी के समान तो, ओ, उ, हितो, सुतो ('तो' होने पर 'आ' को ह्रस्व) ण, णं
अ, इ, ए
सु, सु
लोप (अ>ए, विकल्प से) उ, ओ, लोप (घ) इकारान्त और उकारान्त स्त्रीलिङ्ग में
इकारान्त और उकारान्त स्त्री० में तृतीया से सप्तमी तक एकवचन में 'मा' अतिरिक्त प्रत्यय होता है तथा अकारान्त पु० की तरह दीर्घ-कार्य भी होता है । ईकारान्त प्र० एकवचन, बहुवचन में, द्वि० बहुवचन में तथा सम्बोधन में भी 'आ' अतिरिक्त प्रत्यय जुड़ता है। (6) सभी नपुं० संशाओं मेंविभक्ति
बहुवचन प्र०, द्वि० म्>अनुस्वार णि, ई, ई (दीर्घ) सम्बोधन लोप
, शेष पु० की तरह
संशा शब्दरूप (पुल्लिङ्ग) (१) अकारान्त' 'पुरिस'' (पुरुष) . (२) अकारान्त 'देव' (देवता) एकवचन बहुवचन
एकवचन बहुवचन पुरिसो पुरिसा प्र० देवो
देवा पुरिसं
पुरिसा, -से द्वि० देवं देवा, देवे
एकवचन
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