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प्रबोधिनी टीका पद ४ सू.०८ ज्योतिष्कदेवानां स्थितिनिरूपणम् उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम् पर्याप्तिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन चतुर्भाग पल्यो, पमम् अन्तर्मुहूर्तानम्, उत्कृष्टेन अर्द्धपल्योपमम्, अन्तर्मुहूर्तानम्, नक्षत्रविमाने देवानां पृच्छा ? गौतम ! जघन्येन चतुर्भागपल्योपमम्, उत्कृष्टेन अर्द्धपल्योप मम्, अपर्याप्तकानां पृच्छा ? गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तानम्, उत्कृष्टेन अर्द्धपल्योपम्,
( अपज्जत्तिया णं पुच्छा ?) अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितनी ? (गोमा ! जपणेवि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त ) हे गौतम! जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्तियाणं पुच्छा ?) पर्याप्त देवियों की पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओचमं अंतोमुहुत्तणं, उक्कोसेणं अद्वपलिओनं अंतोसुहुत्तूर्ण) हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम चौथाई पत्योपम की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम अर्ध पल्योपम की ।
(नविना देवाणं पुच्छा ?) नक्षत्र विमान में देवों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा ! जहण्णेणं च भागपलिओवर्स, उक्कोसेणं अद्ध पलिओai) हे गौतम ! जघन्य चौथाई पल्योपम, उत्कृष्ट अर्धपल्योपम की ( अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तकों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं) हे गौतम जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्याप्तकों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तणं, उक्कोसेर्ण अद्धपलिओवमं अंतोमुहुत्तूर्णं) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम चौथाई पल्योपम, उत्कृष्ट अन्त
अपर्याप्त हेवियानी स्थिति डेंटली ? (गोयमा ! जहणेणं वि उक्कोसेणं वि अंतोमुहुत्तं) गौतम | धन्य भने उत्ष्ट अन्तर्मुहूर्तनी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ? ) पर्या. स हेवियानी पृरछा ? (गोयमा ! जहण्णेणं चरभागपलिओवमं अंतो मुहु तणं उक्कोसेणं अद्ध पलिओवमं अंतोमुहुत्तणं) गौतम ! धन्य अन्तर्मुहूर्त सोछा ચાર ભાગ અને ઉત્કૃષ્ટ અન્તર્મુહૂત ઓછા અપાપમની
(नक्खत्तविमांणे देवाणं पुच्छा १) नक्षत्र विभानभां देवानी स्थितिनी पृछा (गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्ध पलिओवमं) गौतम ! धन्य यतुर्थांश पढ्योपभ उत्कृष्ट अर्ध पयोपभनी (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्यासोनी स्थितिनी पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) डे 'गौतम ! धन्य पशु भने उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्तनी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्यासनी पृ२छा ? (गोयमा ! जहणेण च भागपलिओवमं अंतोमुडुत्तणं, उक्को
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