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प्रमेयबोधिनी टीका पद ६ सू.९ उरपरिसादीनामेकसमयेनोपपातनि० १०२१ कोरःपरिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते ? गौतम ! संमृच्छिमेभ्य उपपद्यन्ते, गर्भव्युत्क्रान्तिकेभ्योऽपि उपपद्यन्ते, यदि संमूच्छिमोर परिसर्पस्थल. लचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, किं पर्याप्तकेभ्य उपपद्यन्ते, अपर्याप्तकेभ्य उपपद्यन्ते ? गौतम ! पर्याप्तकसंमूछिमेभ्य उपपद्यन्ते, नो अपर्याप्तकसमूच्छिमोर परिसर्पस्थलचरपञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, यदि गर्भव्युत्क्रान्तिकोर परिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, कि पर्याप्तकेभ्य उत्पन्न होते है ? (गम्भवक्कंतिय उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिनो उववज्जति ?) गर्भजउरपरिसर्पस्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यचों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (संमुछिमेहिंतो उववज्जंति, गम्भवतिएहिंतो वि उववज्जति) संमूछिमों से उत्पन होते हैं और गर्भजों से भी उत्पन्न होते हैं। ___ (जइ) यदि (समुच्छिमउरपरिलप्पथलयरचिदियतिरिक्खजोणिए.. हिंतो उववज्जति) संमूछिमउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यचों से उत्पन्न होते हैं । (किं पज्जत्तएहितो उववज्जंति, अपज्जत्तएहितो उवव. ज्जंति ?) क्या पर्याप्तकों से उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्तकों से उत्पन्न होते हैं । (गोयमा) हे गौतम ! (पज्जत्तगसंमुच्छिमेहितो उववज्जति) पर्याप्तक संमूर्छिमों से उत्पन्न होते हैं (नो अपजत्तगसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ?) अपर्याप्तक संमर्छिम उरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यचों से नहीं उत्पन्न होते। उरपरिसप्पथलयरपंचि दियतिरिक्खजोणिएहि तो उववज्जति ?) २परिस स्थताय२ ५येन्द्रिय तिय याथी उत्पन्न थाय छ १ (गोयमा !) गौतम। (समुच्छिमेहितो उववज्जति, गम्भववकंतिएहितो वि उववज्जति) स भूछिमाथी ઉત્પન્ન થાય છે અને ગર્ભથી પણ ઉત્પન્ન થાય છે.
(जइ) यहि (समुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिं दियतिरिक्खजोणिएहि तो उववजति) समछिभ B२परिसपथसन्य२ पयन्द्रिय (तय याथी उत्पन्न थाय छ (कि पज्जतएहितो उच्वज ति, अपज्जतएहि तो उववज्जति) शु पयतिथी उत्पन्न थाय छे , मपयतिथी ६५न्न थाय छे ? ( गोयमा) ॐ गौतम (पज्जत्तग संमुच्छिमेहिंतो उववज्ज पि) पर्यास भूछि भाथी 64-1 थाय छे (नो अपज्जत्ता संमुन्छिम उत्परिसप्पथलयरपंचिंदिचतिरिक्खजोणिएहि तो उववज्जति) अपर्याय સંભૂમિ ઉરપરિસર્પ સ્થલચર પચેન્દ્રિય તિર્યંચેથી ઉત્પન નથી થતા