Book Title: Pragnapanasutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 1139
________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ६ सू. १२ वैमानिकदेवोपपातनिरूपणम् यदा सम्यग्दृष्टि संवत पर्याप्तसंख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्येभ्यः अनुत्तरौपपातिका देवा उपपद्यन्ते तदा किं पमत्त संजय मम्मट्टी पज्जत्तहिंतो ' किं प्रमत्तसंयतसम्यग्दृष्टि पर्याप्तकेभ्यः संख्ये वर्षायुष्ककर्मभूमिक गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्येभ्य उपपद्यन्ते, किंवा 'अपमत्त संजयसम्म ट्टिी पजन एहिंतो उववज्र्ज्जति ? अप्रमत्तसंयतसम्यग्दृष्टिपर्याप्तकेभ्यः संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिकगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुयेभ्य उपपद्यन्ते ! भगवान् आह - 'गोयमा !' हे गौतम ! ' अपमत्त संजय सम्मfast taeर्हितो ववज्र्ज्जति' अप्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तकेभ्यः संख्येयवर्षायुष्ककर्म भूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्येभ्योऽनुत्तरौपपातिकदेवा उपपद्यन्ते 'नो पत्तसंजय सम्मदिट्ठी पज्जत्तएहिंतो उववज्जंति' नो प्रमत्तसंयतसम्यग्दृष्टिपर्याप्तकेभ्योऽनुत्तरौपपातिकदेवा उपपद्यन्ते, गौतमः पृच्छति - ' जइ अपमत्त संजय - सम्मद्दि िपज्जत्तएहिंतो उवदज्जेति यदा अप्रमत्तसंजयसम्यग्दृष्टि पर्याप्तकेभ्यः संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिगगर्मव्युत्क्रान्तिकमनुष्येभ्योऽनुत्तरौपपतिका देवा उपपका उपपात होता है तो क्या प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उपपात होता है अथवा अप्रमत्त संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उपपात होता है ? भगवान् हें गौतम ! अप्रमत्तसंयत मनुष्यों से ही उपपात होता है, प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तकों से अनुत्तरोपपातिक देवों नहीं उत्पन्न होते । ११०५ गौतम - हे भगवन् ! यदि अप्रमत्त संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से अनुत्तरविमानों के देव उत्पन्न होते हैं, तो क्या ऋद्धिप्राप्त संयतों से उत्पन्न होते हैं अथवा अवृद्धिप्राप्त संयतों से उत्पन्न होते हैं ? ઉપપાત થાય છે તે શું પ્રમત્ત સંયત સમ્યગ્દષ્ટિ સખ્યાત વર્ષની આયુવાળા ક ભૂમિજ ગભ જ મનુષ્યોથી ઉપપાત થાય છે અથવા અપ્રમત્ત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્ત સખ્યાત વની આયુવાળા કમ ભૂમિજ ગજ મનુષ્યેથી ઉપપાત થાયછે ? શ્રી ભગવાન:-ગૌતમ! અપ્રમત્ત સંયત મનુષ્યથી જ ઉપપાત થાય છે, પ્રમત્ત સયત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાંસકાથી અનુત્તરૌપપાતિક દેવ ઉત્પન્ન નથી થતા, શ્રી ગૌતમસ્વામી–ભગવાન્ યદિ અપ્રમત્ત સંયંત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્તક સંખ્યાત વની આયુવાળા ક`ભૂમિજ ગર્ભજ મનુષ્યાથી અનુત્તવિમાનાના દેવ ઉત્પન્ન થાય છે તે શુ ઋદ્ધિ પ્રાપ્ત સયતાથી ઉત્પન્ન થાય છે અથવા અવૃદ્ધિ પ્રાપ્ત સયતાથી ઉત્પન્ન થાય છે? ल० १३९

Loading...

Page Navigation
1 ... 1137 1138 1139 1140 1141 1142 1143 1144 1145 1146 1147 1148 1149 1150 1151 1152 1153 1154 1155 1156 1157 1158 1159 1160 1161 1162 1163 1164 1165 1166 1167 1168 1169 1170 1171 1172 1173 1174 1175 1176 1177 1178 1179 1180 1181 1182 1183 1184 1185 1186 1187 1188 1189 1190 1191 1192 1193 1194 1195 1196