Book Title: Pragnapanasutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1148
________________ १११४ प्रज्ञापनासूत्र येषु उपपद्यन्ते ? गौतम ! पृथिवीकायिकैकेन्द्रियेषु अपि अप्कायिकैकेन्द्रियेष्वपि उपपद्यन्ते, नो तेजाकायिकेषु नो वायुकायिकेपु उपपद्यन्ते, वनस्पतिकायिकेषु उपपद्यन्ते, यदा पृथिवीकायिकेपु उपपधन्ते सूक्ष्म पृथिवीकायिकेषु वादरपृथिवीकायिकेपु उपपद्यन्ते ? गौतम ! वादरपृथिवीकायिकेपु उपपद्यन्ते, नो सूक्ष्मपृथिवीकायिकेषु उपपद्यन्ते, यदा वादरपृथिवीकायिकेपु उपपद्यन्ते, किं पर्याप्तकवादरपुढविकाइय एगिदिएसु जाव वणस्सइकाइय एगिदिएस्सु उववज्जंति) क्या पृश्चिकाधिक एकेन्द्रियों में यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा ! पुढविकाइयएगिदिएसु वि) हे गौतम ? पृथ्वीकायिक एकेन्द्रियों में भी (आउकाइयएगिदिण्तु वि उववज्जंति) अप्कायिक एकेन्द्रियों में भी उत्पन्न होते हैं (नो तेउकाइएसु, नो बाउकाइएलु उववज्जंति) तेजस्कायिकों में और वायुकायिकों में उत्पन्न नहीं होते (वणस्सइकाइएसु उववज्जति) वनस्पतिकायिकों में उत्पन्न होते हैं (जइपुढविकाइएलु उववज्जंति) यदि पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं (कि सुहमपुढवि काइएसु) क्या सूक्ष्मपृथ्वीकायिकों में (वायरपुढविकाइएसु (बादरपृथ्वीकायिकों में (उववज्जंति) उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा! हे गौतम ! (वायरपुढवीकाइएलु उवयज्जति) वादरपृथ्वीकायिको में उत्पन्न होते हैं (नो सुहुम पुढविकाइएसु उववज्जति) सूक्ष्मपृथ्वीकायिकों में उत्पन्न नहीं होते (जइ वायरपुढविकाइएसु उववज्जति) अगर वादर पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं (किं पज्जत्त वायरपुढ. पुढविकाइयएगि दियसु जाव वणस्सइकाइयएगि दिएसु उववज्जंति) पृथ्वीय मेन्द्रियामा यावत् वनस्पतिशायि मेलेन्द्रियोमा उत्पन्न थाय छ ? (गोयमा ! पुढविकाइयएगि दिएसु वि) गौतम ! पृथ्वीजय४ मेन्द्रियोमा ५Y (आउकाइय. एगि दिएसु वि उववज्जंति) २५५४ायि४ येन्द्रियोमा ५५64न्न थाय छे. (नो तेउकाइएसु, नो वाउकाइएसु उववज्जति) ते४२४ायीमा मन वायुयोमा उत्पन्न नथी यता (वणस्सइकाइएसु उववज्जति) वनस्पति विभाजप-1 थाय छे. (जड पुढविकाइएसु उववज्जंति) यहि पृथ्वीय अत्पन्न थाय छे. (किं सहुम पुढविकाइएसु) सूक्ष्म पृथ्वीयम (बायर पुढविकइएसु) मा४२ पृथ्वीमि (उववज्जति) उत्पन्न थाय छ ? (गोयमा ! वायरपुढविकइएसु उववन्जति) गौतम ! मा४२ पृथ्वीयिमा ५न्न थाय छे. (नो सुहुम पुढवि काइएसु उववज्जति) सूक्ष्म पीयिथा त्पन्न नथी यता (जइ वायरपुढविकाइएसु उववज्जंति) 24॥२ मा२ पृथ्वी बिछीमा 64न्न थाय छे. (किं पज्जत्तवायरपुढविकाइएसु) पर्याप्त माहर पृथ्वीयिमत (उववज्जति) सन्न

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