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प्रमैयबोधिनी टीका पद ६ सू.१० असुरकुमाराद्युपपातनिरूपणम् .. १०६१ गौतम ! पिशाचेभ्योऽपि यावद् गन्धर्वेभ्योऽपि उपपद्यन्ते, यदा ज्योतिष्कदेवेभ्य उपपद्यन्ते, किं चन्द्रविमानेभ्य उपपद्यन्ते, यावत् तारासिमानेभ्यः उपप. धन्ते ? गौतम ! चन्द्रविमानज्योतिष्कदेवेभ्योऽपि या तारारिमानज्योति कदेवेभ्योऽपि उपपद्यन्ते, यदा वैमानिकदेवेभ्य उपपद्यन्ते, कि कल्पोपगदैमा. निकदेवेभ्य उपपद्यन्ते ? कल्पातीत वैमानिकदेवेख्य उपपद्यन्ते ? गौतम !
(जह वाणानंतरदेवेहिंतो उववज्जति) अगर यादव्यन्तरदेवो ले उत्पन्न होते हैं ? (किं पिसाएहितो जाव गंधदेहितो उपयज्जति) क्या पिशाचों से यावत् गन्धयों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयथा ! पिसाएहितो वि जाव गंधव्वेहितो वि उववज्जति) गौतम ! पिशाचो से श्री थावत् गंधर्वो से भी उत्पन्न होते हैं ? । ___(जइ जोइसियदेवेहिंतो उववज्जंति) यदि ज्योतिषकदेषो से उत्पन्न होते हैं । (किं चंद्विमाणेहिंतो उववज्जति ?) क्या चन्द्रविमानों से उपन्न होते हैं । (जाव ताराविमाणेहितो उववज्जंति) यावत् ताराविमानों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा चंददिलाणजोइलियदेवेहितो वि जाव ताराविमाणजोइसियदेवेहिंतो वि उक्वजीत ) हे पौतम ! चन्द्रविमान के ज्योतिष्क देवों से यावत् ताराविमान के ज्योतिप्कदेवों से भी उत्पन्न होते हैं। ___(जइ वेमाणियदेवेहितो उववज्जंति) यदि वैमानिकदेवों से उत्पन्न होते हैं ? (किं कप्पोवगवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति ?) क्या कल्पोपपंतन वैमानिकदेवों से उत्पन्न होते हैं । (कप्पाइय क्षेलाणियदेवेहितो
(जइ वाणमंतरहूवेहिं तो उबवज्जति) यह पानयन्त२ देवोथी पन्न थाय छ (किं पिसाएहिं तो जाव गंवव्वेहिंतो उबवज्जति ?) शुशियायी यावत् गन्धथी उत्पन्न थाय छे ? (गोयमा ! पिसाएहिं तो वि जाच गंवश्वेहिं तो वि उजवज्जति) 3 गौतम ! पियाथी ५५ यावत् थिी ५५ ५-न याय छ
(जइ जोइसियदेवेहिं तो उववज्जति) यह याति५४ हेवायी अपन्न याय छे (किं चंदविमाणेहिं तो उववज्जति) शु यन्द्र विमानाथी उत्पन्न थाय छ ? (जाव ताराविमाणेहिं तो उववज्जति) यावत् त। विमानायी उत्पन्न याय छ (गोयमा ! चंदविमाणजोइसियदेवेहि तो वि जाव ताराविमाण जोइसियदेवेहि तो वि उववजाति) હે ગીતમ! ચન્દ્રવિમાનના તિષ્ક દેથી પણ યાવત્ તારા વિમાનના તિષ્ક દેથી પણ ઉત્પન્ન થાય છે
(जह वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति) यहि मानि टेवाथी पन्न याय छे (किं क पोवगवेमाणिपदेवेदितो उपजति ?) शु४८५५५न्न मानि वोथी