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प्रमेयबोधिनी टीका पद ४ सू.०९ वैमानिकदेवानां स्थितिनिरूपणम् . ५१३ पृच्छा ! गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन पल्योपमम् अन्तर्मुहूत्तोंनम्, उत्कृष्टेन त्रयस्त्रिंशत् सागरोपमाणि अन्तर्मुहूर्तीनानि, वैमानिकीनां भदन्त ! देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? गौतम ! जघन्येन पल्योपमम्, उत्कृष्टेन पञ्चपञ्चाशत् पल्योपमानि, अपर्यासकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेननापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन पल्योपमम् अन्तर्मुहूर्तोनम्, उत्कृष्टेन पञ्च. जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्तयाणं पुच्छा) पर्याप्तकों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूण, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम तेतीस सागरोपम की। __(वेमाणियाण भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?) हे भगवन् ! वैमानिक देवियों की स्थिति कितने काल की कही है ? (गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओबम) हे गौतम !जघन्य पल्योपम की, उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की (अपज्जत्तियाणं पुच्छा) अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) हे गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्तियाणं पुच्छा ?) पर्याप्तक वैमानिक देवियों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तणं, उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्पोपस और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्यापम की। स्थिति सी छ १ (गोयमा ! जहणेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तणं उक्कोसेणं त्तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तणाई) गीतम! धन्य मन्तभुत सौछ। २४ ५८ये।પમની, ઉત્કૃષ્ટ અન્તમુહૂર્ત એછા તેત્રીસ સાગરોપમની __ वेमाणियाणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) भगवन् ! वैमानि हेवियोनी स्थिति सा नी ही छ? (गोयमा । जहण्णेणं पलिओवमं; उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओवम) गौतम ! ४५न्य पक्ष्योपभनी, कृष्ट पावन ५च्या५मनी (अपज्जत्तियाणं पुच्छा १) मर्यातवियोनी स्थिति सी ? (गोयमा जहण्णेणं वि उक्कोसेणं वि अंतोमुहुत्त) गौतम ! धन्य ५५] भने Gष्ट ५ मन्तभुइतनी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्यास वैमानि हेवियोनी स्थिति सी ? (गोयमा । जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तणं, उक्कोसेण पणपन्न पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तणाई).गौतम ! धन्य मन्तभुत या गे
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