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प्रमेयवोधिनी टीका पद ५ सू.०६ नैरयिकाणां पर्यायनिरूपणम् ६२१ भदन्त ! नैरयिकाणाम् कियन्तः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! अनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः, तत् केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-उत्कृष्टावगाहनकानां नैरयिकाणामनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! उत्कृप्टावगाहनको नैरयिकः उत्कृष्टावगाहनकस्य नैरयिकस्य द्रव्यार्थतया तुल्यः, प्रदेशार्थतया तुल्यः, अवगाहनार्थतया तुल्यः, स्थित्या स्याद्धीनः, स्यानुल्यः, स्यादभ्यधिकः, यदा हीनोऽसंख्येयभागहीनो वा, णेहिं) तीन अज्ञानों से (तिहिं दंसणेहिं) तीन दर्शनों से (छट्ठाणवडिप) षट्स्थानपतित है।
(उक्कोसोगाहणगाणं भंते ! नेरझ्याणं केवड्या पजवा पण्णत्ता ?) उत्कृष्ट अवगाहना वाले नारकों के भगवन् ! कितने पर्याय कहे हैं? (गोयमा ! अणंता पजवा पण्णत्ता) हे गौतम ! अनन्त पर्याय कहे हैं (से केणटेणं भंते ! एवं उच्चइ-उक्कोसोगाहणयाणं नेइरयाणं अणंता पजवा पण्णता ?) हे भगवन् ! किस अपेक्षा से ऐसा कहा है कि उत्कृष्ट अवगाहना वाले नारकों के अनन्त पर्याय कहे हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (उक्कोसोगाहणए नेरइए उक्कोसोगाहणस्स नेरइयस्स .
वठ्ठयाए तुल्ले) उत्कृष्ट अवगाहना वाला नारक उत्कृष्ट अवगाहना वाले नारक से द्रव्य की अपेक्षा तुल्य है (पएसट्टयाए तुल्ले) प्रदेशों की अपेक्षा ले तुल्य हैं (ओगाहणयाए तुल्ले) अवगाहना से तुल्य है (ठिईए सिथ हीणे, सिय तुल्ले, सिय अन्भहिए) स्थिति से स्यात् हीन, स्यात् तुल्य, स्यात अधिक है (जइ हीणे असंखिजभाग हीणे का संखिज्जभागहीणे वा) यदि हीन है तो असंख्यातभाग हीन र मानाथा (तिहिं दसणेहिं) न शनाथी (छट्ठाणवडिए) ७ स्थान पतित छे.
(उकोसोगाहणगाणं भंते ! नेरइयाणं केवइया पज्जवा पण्णत्ता १) सवगाहनावाणा नाहीना 3 भगवन् ! । पर्याय ४ा छ ? (गोयमा । अणंता पज्जवा पण्णता) डे गौतम | मनन्त पर्याय ४॥ छ (से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-उकोसोगाणगाणं नेरइयाणं अर्णता पज्जवा पण्णत्ता) लगवन् । કઈ અપેક્ષાએ એમ કહ્યું છે કે ઉત્કૃષ્ટ અવગાહનાવાળા નારકના અનન્ત પર્યાય ४ा छ ? (गोयमा !) गौतम । (उकोसोगाहणए नेरइर उकोसोगाहणस्स नेरइस्स दबट्टयाए तुल्ले) कृष्ट मानावामा ना२४ Eष्ट अवगाहनावा ना२४थी द्र०यनी अपेक्षा तुल्य छ (पएसद्वयाए तुल्ले) प्रशानी अपेक्षा तुल्य छ (ओगाहणट्टयाएँ तुल्ले) ५१॥नाथा तुक्ष्य छे. (ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए) स्थितिथी स्यात् हीन, स्यात् तुझ्य, स्यात् गधि छे. (जइ हीणे असंसिज्ज भागहीगे वा संखिज्जभाग हीणे वा) ने छीन छे मध्यात माग