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विईओ संधि
नष्ट हो गये । इस समय जीने, भोजन, खान, पान और पहिरनेका उपाय क्या है ?" यह वचन सुनकर, जग-श्रेष्ठ उन्हें सब विद्याओंकी शिक्षा देते हैं। दूसरोंके लिए असि, मसि, कृषि और वाणिज्य । और दूसरों के लिए विविध प्रकार की दूसरी दूसरी विद्याएँ ? कई दिनों के बाद, उन्होंने नन्दा सुनन्दा नामक श्रीसे सेवित दो देवियों से विवाह किया। उनके, भरत और बाहुबलि के सराधान सुदुर:
घत्ता-जब राज्य करते हुए उनका प्रेसठ लाख पूर्व बीत गया, तो इन्द्रमहाराजके मनमें चिन्ता उत्पन्न हुई ॥९॥
[९] "त्रिभुवनके जन मन और नेत्रोंके लिए प्रिय आदरणीय जिनको भोगोंमें आसक्त देखकर इन्द्र अपने मनमें सोचने लगा कि मैं वैराग्यका कुछ तो भी कारण खोजता हूँ जिससे यह पण्डितों और सात्त्विक लोगोंका भनचीता करें, जिससे तीर्थका प्रवर्तन प्रवर्तित हो, जिससे शील, प्रत और नियम का नाश न हो, जिससे अहिंसाधर्मका प्रकाश हो ।" यह विचार कर इन्द्रने पुण्यायुवाली चन्द्रमुखी नीलांजनाको बुलाया और कहा, "त्रिभुवन स्वामीकी सेरामें जाओ, उनके सामने नाट्यारम्भका प्रदर्शन करो।" यह आदेश पाकर, वह वहाँ गयी जहाँ आदरणीय अपने आस्थानमें बंटे हुए थे, प्रयोगकर्ताओंने तत्काल, जैसा कि लक्षणशास्त्र में कहा गया है, गेय और बाथ प्रारम्भ कर दिया ।।१-८॥
पत्ता-कर, दृष्टि, भाव और रससे रंजित नीलांजनाने तुरन्त रंगशालामें प्रवेश किया और विभ्रम भाव तथा विलास दिखाते-दिखाते उसने अपने प्राण छोड़ दिये" ॥२||
[१०] नीलांजनाको प्राणोंसे मुक्त देखकर जिनको बहुत बड़ी शंका हो गयी। ( वह सोचने लगे) असार संसारको धिक्कार है। इसमें एक के लिए दूसरा फर्मरत होता है ?