Book Title: Paumchariu Part 1
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
पउमचरित
[1] तं णिसुणेवि समोर सगे उरु। रविकरणेग मुक असे उह ॥ १॥ मउ णिय-गपक महाफर-मुकर। करिणि-जूहु णं वारिह चुका ॥२॥ कोकावेष्पिणु वरुणु दसासें। पुस्जिद सुर-जय-लरिष्ठ-णिवासें ॥३॥ 'अवलुप में राहु करहि सरीरहीं। मरणु गाहणु जउ सम्वहाँ वीरहों ।।४।। णवर पळायणेण जिग्नह। जें महु णामु गोतु मइकिजई' ॥५॥ दहवपणहों वयणेहि स-करुणे। घरूण पवेप्पिणु वुशन वरुणे ॥६॥ 'धान्ति -सक ए.के। रूसकिय पर पति किया। तासु मिह जो सी जि प्रयागज । अन्धों करणें चि तुहुँ महु राणन gen
घता
अण्णु वि ससि-वयणी कुबळयणयणी महु सुप णामें सच्वइ । करि लाएँ समाणउ पाणिग्गहणउ विज्ञाहर-भुवणादिवा' ॥२॥
[१२] कुसुमाउहकमला चुह-णयणे । परिणिय घरुण-धीष दहययणें ॥१॥ पुप्फ-विमाणे बडिउ आणः। दिण्णु पयाणड जयजय-सरे ॥२॥ पलियई णपणा जाण-बिमाणई। स्यणई सत्त णबद्ध-णिहाण ॥३॥ अट्ठारह सहास घर-दारहूँ। अदछ?-कोडीउ कुमार? ॥४॥ णव भक्खोहणोउ वर-तरहुँ । (णस्वर-अक्खोहणिउ सहास? ॥५॥ अक्खोहणि परवर-गय-तुरपहुँ)। श्रमखोहणि-सहासु चउ-सूरहुँ ॥३॥ लङ्क पट्ट सुट्ट परिओस । मङ्गल-धवलुछाइ-परोसें ॥७॥ पुज्जिड पचण-पुत्तु दहगीवें दिनद पउमराय सुग्गीधे ।। खरण अणकुसुम बय-पाकिणि । माछ-णाले हि धीय सिरिमारिणि ॥९॥

Page Navigation
1 ... 366 367 368 369 370 371