Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ३०
३६-४५ मनुष्यानुपूर्वी, आहारकसप्तक, देवद्विक, सूक्ष्मत्रिक, विकलत्रिक और आतप नाम का उत्कृष्ट स्थिति उदीरणा स्वामित्व अनुदय बंधोत्कृष्टा प्रकृतियों का उत्कृष्ट स्थिति उदीरणा स्वामित्व उदय संक्रमोत्कृष्टा प्रकृतियों का उत्कृष्ट स्थिति
उदीरणा स्वामित्व गाथा ३१
४६-४७ तीर्थंकरनाम का उत्कृष्ट स्थिति उदीरणा स्वामित्व ४६ गाथा ३२
४७-४६ भय, जुगुप्सा, आतप, उद्योत, सर्वघाति कषाय और निद्रापंचक का जघन्य स्थिति उदीरणा स्वामित्व
४७ गाथा ३३
४८-५१ एकेन्द्रियप्रायोग्य प्रकृतियों का जघन्य स्थिति उदीरणा स्वामित्व
४६ विकलत्रिक जाति का जघन्य स्थिति उदीरणा स्वामित्व गाथा ३४
५१-५४ दुर्भगत्रिक, नीच गोत्र, तिर्यंचद्विक, अंतिम पांच संहनन, युगलद्विक, मनुष्यानपूर्वी, अपर्याप्त नाम, वेदनीयद्विक का
जघन्य स्थिति उदीरणा स्वामित्व गाथा ३५
५४-५६ वैक्रिय अंगोपांग, नरकद्विक, देवद्विक का जघन्य स्थिति
उदीरणा स्वामित्व गाथा ३६
वेदत्रिक, दृष्टिद्विक, संज्वलनचतुष्क का जघन्य स्थिति उदीरणा स्वामित्व
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