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प्रकृतिनाम सादि अव
स्थावर
अध्रुवो
दया
सुक्ष्म, रण
साधा
अपर्याप्त
दुर्भग, अनादेय
अयशः कीर्ति
दुःस्वर
अध्रवोदया
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अनादि
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ध्र ुव
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पंचसंग्रह :
स्वामित्व
स्थावर
क्रमशः सूक्ष्म और शरीरस्थ साधारण
जीव
लब्धि अप. मनुष्य तिर्यंच
नारक लब्धि अप. स्वोदयवर्ती गर्भज तिर्यंच, मनुष्य, देव, विकलेन्दिय, एकेन्द्रिय
तेज, वायु नारक, सूक्ष्म, लब्धि अपर्याप्त और स्वोदयवर्ती शेष जीव
भाषा पर्याप्ति से पर्याप्त नारक, स्वोदयवर्ती मनुष्य, तिर्यंच
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