Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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प्रकृति नाम
हास्य, रति
अरति, शोक, भय, जुगुप्सा
नपुंसक वेद
स्त्रीवेद, पुरुषवेद
सातावेदनीय
असातावेदनीय
नीच गोत्र
उच्च गोत्र
नरकायु
देवायु
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उत्कृष्ट अनु. उदी. स्वा.
सर्व पर्याप्तियों से पर्याप्त सहस्रार देव
सर्व पर्याप्तियों से पर्याप्त उ. स्थि. बाला अति सं. सप्तम पृथ्वी का नारक
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आठ वर्ष की आयु वाला आठवें वर्ष में वर्तमान अति सं. पर्याप्त, संज्ञी तिर्यंच
उत्कृष्ट स्थिति अति सं. पर्याप्त सप्तम पृथ्वी- नारक
11
चरम समयवर्ती सयोगिके.
उ. स्थि. पर्या. अति सं. सप्तम पृथ्वी नारक
पंचसंग्रह
जघन्य अनु उदी. स्वा.
चरम समयवर्ती अपूर्व -
करण क्षपक
उत्कृष्ट स्थितिक सर्व विशुद्ध पर्याप्त अनुत्तरवासी चार गति वाले देव
33
स्वोदीरणा चरम समयवर्ती अनिवृत्ति क्षपक
स्वोदीरणा चरम समयवर्ती अनिवृत्ति क्षपक
स्वोदय मध्यम परिणामी
11
स्वोदयवर्ती मध्यम परिणामी तदुदययोग्य जीव
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17
सर्व विशुद्ध जघन्य स्थितिक प्रथम पृथ्वी नारक
सर्व विशुद्ध उत्कृष्ट स्थितिक अति संक्लि . अनुत्तर देव
स्थितिक देव
जघन्य
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