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उदीरणाकरण- प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १३
प्रकृति नाम
सेवा सं
प्रथम संस्थान
मध्यम संस्थान चतुष्क
हुडक संस्थान
मृदु लघु स्पर्श
गुरु कर्कश स्पर्श
गुरु कर्कश स्पर्श बिना वर्णसप्तक,
अशुभ अस्थिर अशुभ
नरकानुपूर्वी
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उ० अनु० उदी० स्वा०
अतिसंक्लिष्ट अष्टवर्षायुष्क आठवें वर्ष में वर्तमान संज्ञी तिर्यंच
पर्याप्त
सर्व विशुद्ध आहारक शरीरी अप्रमत्त यति
अति सं. अष्टवर्षायुष्क आठवें वर्ष में वर्तमान संज्ञी तिर्यंच
अति सं. उ. स्थितिक पर्याप्त सप्तम पृथ्वी
नारक
अति विशुद्ध पर्याप्त आहारक शरीरी अप्रमत्त यति
अति सं. अष्टवर्षायुष्क आठवें वर्ष में वर्तमान संज्ञी तिर्यंच
अति संक्लिष्ट मिथ्यादृष्टि पर्याप्त संज्ञी
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ज० अनु० उदी० स्वा०
अति सं. बारह वर्ष की आयु वाला बारहवें वर्ष में वर्तमान द्वीन्द्रिय
अति सं. अल्पायु स्वोदय प्रथम समयवर्ती असंज्ञी पंचेन्द्रिय
अति विशुद्ध पूर्वकोटि वर्षायुष्क स्वोदय प्रथम समयवर्ती असंज्ञी पंचेन्द्रिय
उ. आयुष्क स्वोदय प्रथम समयवर्ती सूक्ष्म विशुद्ध परिणामी
तत्प्रायोग्य विशुद्ध अना - हारक संज्ञी पंचेन्द्रिय
केवलि समुद्घात में षष्ठ समयवर्ती
चरम समयवर्ती सयोगी
उ. स्थितिवाला विग्रहगति तृतीय समयवर्ती | गतिवर्ती नारक सप्तम पृथ्वीनारक
मध्यम परिणामी विग्रह
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