Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १३
१७५
प्रकृति नाम
उत्कृष्ट अनु. उदी. स्वा.
जघन्य अनु. उदी. स्वा.
तिर्यंचायु
सर्व विशुद्ध त्रिपल्योपम | अति संक्लि. जघन्य की आयु वाला युगलिक | स्थितिक तिर्यंच तिर्यंच
मनुष्यायु
सर्व विशुद्ध त्रिपल्य आयू | अति संक्लि. जघन्य वाला युगलिक मनुष्य | स्थितिक मनुष्य
नरकगति
उत्कृष्ट स्थिति वाला मध्यम परिणामी नारक पर्याप्त सप्तम पृथ्वी नारक
तियंचगति
मध्यम परिणामी तियंच
अति सं. आठ वर्ष की आयु वाला आठवें वर्ष में वर्तमान संज्ञी तिर्यंच
मनुष्यगति
सर्व विशुद्ध त्रिपल्य की | मध्यम परिणामी मनुष्य आयु वाला पर्याप्त युगलिक मनुष्य
देवगति
उत्कृष्ट स्थितिक पर्याप्त | मध्यम परिणामी देव अनुत्तर देव
एकेन्द्रियजाति
अति सं.ज. स्थितिक पर्याप्त बादर एकेन्द्रिय
मध्यम परिणामी एकेन्द्रिय
विकलेन्द्रियजाति
अति सं. ज. आयुष्क यथा मध्यम परिणामी यथा संभव पर्याप्त विकलेन्द्रिय संभव विकलेन्द्रिय
पंचेन्द्रियजाति
उत्कृष्ट स्थितिक पर्याप्त | मध्यम परिणामी पंचेन्द्रिय अनुत्तर देव
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