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उदीरणाकरण- प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १३
प्रकृति नाम
उद्योत
उच्छ् वास
तीर्थंकरनाम
त्रसत्रिक
प्रत्येक
सुस्वर
स्थावर
सूक्ष्म
उ० अनु० उदी० स्वा०
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सर्व विशुद्ध पर्याप्त वै क्रियशरीरी अप्रमत्त यति
सर्व विशुद्ध पर्याप्त आहारक शरीरी अप्रमत्त यति
सुभग, आदेय, यशः कीर्ति चरमसमयवर्ती सयोगी
उ. स्थितिक अनुत्तरवासी देव
पर्याप्त
चरमसमयवर्ता सयोगी तीर्थंकर भगवान्
उ. स्थितिक पर्याप्त अनुत्तर- देव
उत्कृष्ट स्थिति वाला पर्याप्त अनुत्तर- देव
जघन्य स्थितिक अति सं. पर्याप्त बादर एकेन्द्रिय
जघन्य स्थितिक अति संक्लिष्ट पर्याप्त सूक्ष्म
ज० अनु० उदी० स्वा०
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अति सं. स्वोदय प्रथम समयवर्ती खर बादर पर्याप्त केन्द्रिय
उच्छ्वास पर्याप्ति से पर्याप्त मध्यम परिणामी
आयोजिकाकरण से पूर्वं तीर्थंकर केवली
परावर्तमान मध्यमपरिणामी उस-उस प्रकृति के उदय वाले जीव
अति सं. अल्पायु शरीरस्थ अपर्याप्त सूक्ष्म वायु.
स्वोदयवर्ती परावर्तमान मध्यम परिणामी
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परावर्तमान मध्यम परिणामी स्थावर
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परावर्तमान मध्यम परिणामी सूक्ष्म
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