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पंचसंग्रह : ८
प्रकृति नाम
उ० अनु० उदो० स्वा० । ज० अनु० उदो० स्वा०
देवानुपूर्वी
उ. स्थितिवाला विग्रह- | मध्यमपरिणामी विग्रहगति तृतीय समयवर्ती | गतिवर्ती देव अनुत्तर-देव
तिर्यंचानुपूर्वी
अति सं. अष्टवर्षायूष्क | मध्यमपरिणामी विग्रहविग्रहगति तृतीय समय- गतिवर्ती तिर्यंच वर्ती संज्ञी तिर्यंच
मनुष्यानुपूर्वी
अति विशुद्ध त्रिपल्य- मध्यमपरिणामी विग्रहआयुष्क विग्रहगति तृतीय | गतिवर्ती मनुष्य समयवर्ती मनुष्य
अशुभ विहायोगति
अति सं. उत्कृष्ट स्थि- | मध्यम परिणामी तिक पर्याप्त सप्तम पृथ्वीनारक
शुभ विहायोगति
"
सर्व विशुद्ध पर्याप्त आहारकशरीरी अप्रमत्त यति
उपघात
उ. स्थितिक पर्याप्त | विशुद्ध दीर्घायु शरीरस्थ सप्तम पृथ्वी नारक सूक्ष्म
पराघात
सर्वविशुद्ध पर्याप्त आहा- | दीर्घायु अति सं. पर्याप्त रक शरीरी अप्रमत्त यति | चरमसमयवर्ती सूक्ष्म
आतप
सर्व विशुद्ध बादर पर्याप्त | अति सं. स्वोदय प्रथम खर पृथ्वीकाय
समयवर्ती खर बादर पृथ्वीकाय
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